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जयपुरः दुर्लभ प्रजाति का गोल्डन कछुआ रेस्क्यू कर चिड़ियाघर को सौंपा

– चाकसू के काठावाला तालाब से किया गया रेस्क्यू

आम मत | जयपुर

राजस्थान की राजधानी जयपुर से बेहद दुर्लभ प्रजाति के गोल्डन कछुआ का शनिवार को रेस्क्यू कर चिड़ियाघर प्रशासन के सुपुर्द किया गया। इस कछुआ को चाकसू के काठावाला तालाब से रेस्क्यू किया गया। वाइल्ड लाइफ क्राइम कंट्रोल ब्यूरो के पूर्व मानद वन्यजीव प्रतिपालक मनीष सक्सेना ने चिड़ियाघर प्रशासन को सौंपा।

जानकारी के अनुसार, वर्ल्ड संगठन की हेल्पलाइन पर पशुपालन विभाग के अतिरिक्त निदेशक डॉ. प्रकाश भाटी ने चाकसू के काठावाला तालाब के पास एक खेत में कछुआ होने की सूचना दी, जिसे अन्य पशुओं से खतरा हो सकता था।

सूचना पर त्वरित कार्रवाई करते हुए इसे रेस्क्यू करने के प्रयास किए गए जिसमें वन्यजीव प्रेमी विष्णु जाट का खास सहयोग रहा। कछुए को रेस्क्यू कर इसे जयपुर चिडि़याघ के उप वन्यजीव संरक्षक उपकार बोरोना को सुपुर्द कर दिया गया है।

सातवीं बार देखा गया है कछुआ

गोल्डन कछुआ की प्रजाति की दुर्लभता का पता इससे ही चलता है कि इससे पूर्व विश्व में इसे महज 7 बार ही देखा गया है। इससे पहले इसे उड़ीसा और नेपाल में देखा गया था। नेपाल में भी दो माह पूर्व ऐसा कछुआ मिला था। वहां यह कछुआ धनुषा जिले के धनुषाधम में मिला था। वहां लोग मान रहे थे कि भगवान विष्णु ने धरती को बचाने के लिए कछुए के रूप में अवतार लिया है। नेपाल से पूर्व भारत में ओडिशा के बालासोर में भी लोगों से ऐसा ही दुर्लभ कछुआ देखा था। इस तरह का एक और कछुआ कुछ साल पहले सिंध में पाया गया था।

जेनेटिक म्यूटेशन से बदलता है रंग

इस कछुए को एल्बीनो टर्टल भी कहा जाता है। भारतीय ब्लैक शेल टर्टल प्रजाति का यह कछुआ साफ पानी का कछुआ है, जो साफ पानी की नदियों और तालाब में रहता है। कछुए के इस दुर्लभ रंग बदलने की वजह जेनेटिक म्यूटेशन है।

इसके कारण स्किन को रंग देने वाला पिगमेंट बदल गया है। नतीजा, यह सुनहरा दिखाई दे रहा है। आपको बता दें कि कछुए में क्रोमैटिक ल्यूसिज़्म का यह दुनियाभर का केवल सातवां मामला है।क्रोमैटिक ल्यूसिज़्म उस स्थिति को कहते हैं, जब शरीर को रंग देने वाला तत्व ही बिगड़ जाता है।

ऐसी स्थिति में स्किन सफेद, हल्की पीली या इस पर चकत्ते पड़ जाते हैं। चाकसू से रेस्क्यू किए गए कछुए में पीला रंग अत्यधिक बढ़ गया है, इसलिए यह सुनहरा दिख रहा है।

नेपाल में धार्मिक मान्यता भी

नेपाल में इस कछुए को लेकर धार्मिक मान्यताएं भी हैं। ऐसा माना जाता है कि भगवान विष्णु ने ब्रह्मांड को विनाश से बचाने के लिए कछुए का रूप लिया था। हिन्दु मान्यताओं के मुताबिक, कछुए के ऊपरी हिस्से को आकाश और निचले हिस्से को धरती माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक इस कछुए के ऊपरी हिस्से को आकाश और निचले हिस्से को धरती माना जाता है।

इनका कहना है

हमारे पास वल्र्ड की हेल्पलाइन पर सूचना आई थी कि चाकसू में गोल्डन कलर का कछुआ देखा गया है। हमने त्वरित कार्रवाई करते हुए उसे रेस्क्यू किया और जयपुर चिड़ियाघर के उप वन्यजीव संरक्षक उपकार बोरोना को कछुए को सुपुर्द किया। इस प्रकार का कछुआ दुनिया में सांतवीं बार देखा गया है। यह साफ पानी का कछुआ है।नेपाल में इसे लेकर काफी धार्मिक मान्यता भी है। – मनीष सक्सेना, सदस्य, वाइल्ड लाइफ क्राइम कंट्रोल ब्यूरो

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