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सिर्फ शादी के लिए धर्म परिवर्तन वैध नहींः इलाहाबाद हाईकोर्ट

आम मत | लखनऊ / प्रयागराज

धर्म परिवर्तन को लेकर इलाहाबद हाईकोर्ट ने शुक्रवार को बड़ा फैसला दिया। कोर्ट ने विपरित धर्म के जोड़े की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि सिर्फ शादी के लिए धर्म परिवर्तन करना वैध नहीं है। कोर्ट ने जोड़े की याचिका खारिज कर मजिस्ट्रेट के समक्ष बयान दर्ज कराने की छूट भी दी।

मामले के अनुसार, जोड़े ने उनके वैवाहिक जीवन में परिजन को हस्तक्षेप करने पर रोक लगाने की मांग की थी। हाईकोर्ट ने याचिका पर हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि याचिकाकर्ताओं में एक हिंदू है और दूसरा मुस्लिम। युवती ने 29 जून को हिंदू धर्म स्वीकार कर एक महीने बाद विवाह कर लिया।

कोर्ट ने कहा कि रिकॉर्ड से स्पष्ट है कि सिर्फ शादी करने के लिए धर्म परिवर्तन किया गया है। कोर्ट ने नूरजहां बेगम केस के फैसले का हवाला दिया, जिसमें कोर्ट ने कहा है कि शादी के लिए धर्म बदलना स्वीकार्य नहीं है। इस मामले में हिंदू लड़कियों ने धर्म बदलकर मुस्लिम लड़के से शादी की थी।

सवाल था कि क्या हिंदू लड़की धर्म बदलकर मुस्लिम लड़के से शादी कर सकती है और यह शादी वैध होगी। कोर्ट ने कहा कि इस्लाम के बारे में बिना जाने और बिना आस्था विश्वास के धर्म बदलना स्वीकार्य नहीं है। कोर्ट ने कहा ऐसा करना इस्लाम के भी खिलाफ है।

अदालत ने मुस्लिम से हिंदू बन शादी करने वाली याची को राहत देने से इनकार कर दिया। प्रियांशी उर्फ समरीन और अन्य की ओर से याचिका दाखिल की गई थी। जस्टिस एम सी त्रिपाठी की एकल पीठ ने ये अहम फैसला सुनाया।

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