भारत में फर्जी कंपनियों के रजिस्ट्रेशन और उनके जरिए कारोबार पर लगाम लगाने के मकसद से देश में उनके रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया को और मजबूत बनाने की तैयारी हो रही है। आम मत को सूत्रों के जरिए मिली जानकाारी के मुताबिक सरकार इन कंपनियों के रजिस्ट्रेशन में तकनीक का इस्तेमाल कर सकती है और रजिस्ट्रेशन के दौरान स्थान की जियो टैगिंग को अनिवार्य बनाया जाएगा।
Geo Tagging in Company Registration (कंपनी रजिस्ट्रेशन)
रजिस्ट्रेशन के दौरान कंपनी के कॉरपोरेट ऑफिस की जियो टैगिंग जरूरी की जाएगी। इसके अलावा स्थानीय स्तर पर भी डाटा मैचिंग की कवायद की भी तैयारी है। रजिस्ट्रेशन के समय दिए गए पते को सरकार लोकल बॉडी से मैच भी करेगी ताकि ये सुनिश्चित हो सके कि दिया गया पता बिल्कुल ठीक है।
मामले से जुड़े अधिकारी के मुताबिक कॉरपोरेट मामलों का मंत्रालय जल्द ही कंपनियों के रजिस्ट्रेशन का नया सिस्टम शुरू कर सकता है। नई व्यवस्था में इस बात का पूरा ध्यान रखा जाएगा कि कारोबारियों को किसी तरह की मुश्किल न आए।
इसके लिए सबसे ज्यादा आसानी कंपनी रजिस्ट्रेशन से जुड़े कागजात को लेकर दी जा सकती है। सरकार कारोबारी सुगमता के बढ़ावा देने के मकसद से वेबसाइट पर कागजात अपलोड करने के बजाए वेब आधारित सिस्टम शुरू किया जाएगा। अभी इसके लिए करीब 50 से ज्यादा फॉर्म्स को पीडीएफ माध्यम में अपलोड करना पड़ता है।
क्या है जियो टैगिंग | What is Geo Tagging
जियो टैगिंग का अर्थ कार्य की भौगोलिक स्थिति, फोटो, मैप और वीडियो के जरिए सटीक जानकारी देना है। इससे उस जगह की लोकेशन जानी जाती है। इससे गूगल मैप देखकर जगह का आसानी से पता किया जाता है। इसके अतिरिक्त अन्य चीजें भी इससे जोड़ी जा सकती हैं। अब कई कार्यों की स्थिति व सरकारी योजना के तहत निर्माण कार्यों की भी जियो टैंगिंग हो रही है। इससे स्पष्ट हो जाता है कि कार्य की क्या स्थिति है और कितना धन खर्च हो रहा है। इससे फर्जीवाड़ा नहीं हो पाता।