आम मत | नई दिल्ली
14 सितंबर से शुरू हुआ संसद का मॉनसून सत्र 10 दिन में ही खत्म हो गया। लोकसभा और राज्यसभा को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने मेजर पोर्ट अथॉरिटीज बिल के पारित होने के बाद सदन को स्थगित कर दिया। इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी मौजूद थे।
राज्यसभा की कार्यवाही भी समय से आठ दिन पहले बुधवार को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई। राज्यसभा के सभापति वेकैंया नाएडू ने कहा कि सदन के लिए 18 बैठकों होनी थी, लेकिन 10 ही हो सकीं। इस दौरान कुल 25 विधेयक पारित किए गए और छह विधेयक पेश हुए। इस सत्र के दौरान सदन की प्रोडक्टिविटी 100.47% रही है। पिछले तीन सत्र के दौरान ज्यादा काम हुआ जो कि इस सत्र में भी नजर आया।
इससे पहले, बुधवार को कृषि बिलों के विरोध में विपक्षी दलों के सांसदों ने संसद परिसर में प्रदर्शन किया और मार्च निकाला। मानसून सत्र 1 अक्टूबर तक चलने वाला था, लेकिन कोरोना महामारी के चलते इसमें कटौती कर दी गई।
राष्ट्रपति इन कृषि बिलों को वापस भेज दें: आजाद
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात के बाद आजाद ने कहा- सरकार को बिल लाने से पहले सभी पार्टियों, किसान नेताओं से सलाह लेनी चाहिए थी। संविधान को कमजोर कर दिया गया है। हमने राष्ट्रपति को एक प्रजेंटेशन दिया है कि कृषि बिलों को असंवैधानिक रूप से पारित किया गया। उन्हें इन बिलों को वापस भेज देना चाहिए।