आम मत | अयोध्या / नई दिल्ली
राम मंदिर के निर्माण के लिए 15 जनवरी से चंदा जुटाया जाएगा। इसमें विदेशी धन का उपयोग नहीं होगा, यह पूरी तरह से आम लोगों के योगदान से ही बनेगा। यहां तक कि राम जन्मभूमि क्षेत्र ट्रस्ट ने कंपनियों के कारपोरेट सामाजिक दायित्व (सीएसआर) फंड का इस्तेमाल भी मंदिर निर्माण के लिए नहीं करने का निर्णय लिया है। इसमें आम लोग कूपन से चंदा दे सकेंगे। इसमें 10 रुपये के 4 करोड़ के कूपन होंगे। 100 रुपये के 8 करोड़ कूपन होंगे ओर 1000 रुपये के 12 लाख कूपन होंगे।
ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय के अनुसार सीएसआर फंड का इस्तेमाल बाद में संग्रहालय, पुस्तकालय व अन्य कामों में किया जा सकता है, लेकिन मंदिर निर्माण में इसका प्रयोग नहीं होगा। राम मंदिर के निर्माण में विदेशी फंड के इस्तेमाल पर स्थिति साफ करते हुए चंपत राय ने कहा कि एफसीआरए नहीं होने के कारण ट्रस्ट विदेशों से चंदा नहीं ले सकता है।
गृह मंत्रालय के नियमों के मुताबिक, एफसीआरए के आवेदन के साथ ही किसी भी ट्रस्ट के लिए तीन साल की आडिट रिपोर्ट अनिवार्य होती है। राम जन्मभूमि क्षेत्र ट्रस्ट के गठन को एक साल भी नहीं हुए हैं। ऐसे में तकनीकी रूप से ट्रस्ट एफसीआरए के लिए आवेदन भी नहीं कर सकता है। वैसे चंपत राय के अनुसार गृह मंत्रालय के सामने इस नियम में छूट की मांग के साथ आवेदन का विकल्प खुला है, लेकिन ट्रस्ट ऐसा नहीं करेगा।
विदेश में रह रहा भारतीय भी तभी चंदा दे पाएगा, अगर वह भारतीय बैंक के खाते से दे। उन्होंने विस्तार से बताया कि किस तरह से ट्रस्ट मकर संक्रांति से माघ पूर्णिमा तक 42 दिनों में पूरे देश में धन संग्रह के लिए व्यापक जन-संपर्क अभियान चलाएगा। इतने समय में कम से कम आधी आबादी तक पहुंचने की कोशिश होगी, ताकि आम आदमी को मंदिर निर्माण की प्रक्रिया से जुड़ने का अहसास हो सके।