– अरबों की जमीन पर प्लॉट काटे
– गाड़िया लुहारों को भगाने की कोशिश
आम मत | हरीश गुप्ता
जयपुर। धन्य हैं राजस्थान की राजधानी के भू-कारोबारी। नदी-नाले की जमीन हड़प लें और डकार भी ना लें यह तो समझ आता है। अब श्मशान की भूमि पर ही प्लॉट काटने की तैयारी कर डाली। मामला झोटवाड़ा रोड स्थित पीतल फैक्ट्री के सामने का है।
यहां चांदपोल श्मशान के पास एक ट्रस्ट की जमीन है। आज के हिसाब से जमीन अरबों रुपए की है। एक भू-कारोबारी की इस जमीन पर नजर पड़ी उसने कुछ प्रभावशाली लोगों को साथ लिया, जिसमें एक विधायक भी है। ट्रस्ट वालों से बातचीत कर प्लानिंग को मूर्त रूप देना शुरू किया।
सूत्रों ने बताया कि सबसे पहले इन लोगों ने जमीन के बाहर करीब 25 सालों से डेरा डाले गाड़ियां लुहारों को भगाने के लिए निगम के अधिकारियों से सांठगांठ की। कोरोना काल में निगम का लवाजमा पहुंचा और लुहारों को जबरन वहां से भगा गया। वह अलग बात है कि लुहार वापस आकर बैठ गए।
वर्षों से मिठाई वाले ने भी किया हुआ है जमीन पर कब्जा
सवाल खड़ा होता है निगम को किसने कहा था इन्हें हटाने के लिए? क्या कहीं और बसाने की प्लानिंग की गई? शहर में कई अन्य जगह भी अतिक्रमण हो रखे हैं, वही अतिक्रमण नजर क्यों आया? वैसे इस जमीन के कुछ हिस्से में एक मिठाई वाले का भी कब्जा है। कब्जा भी वर्षों पुराना है और वहां उसकी गायें बंधती आ रही है।
जमीन पर निर्माण कार्य कराने वाली कोर कमेटी ने तैयार किया नक्शा
सूत्रों की माने तो इस जमीन पर निर्माण कार्य करवाने वाली कोर कमेटी ने नक्शा भी तैयार करवा लिया है। नक्शे के मुताबिक बीच में एक हेरिटेज निर्माण को छोड़ दिया गया है, जबकि उसके आसपास 100 वर्ग गज से साढ़े तीन सौ वर्ग गज के प्लॉट दिखाए गए हैं। कोर कमेटी का मास्टरमाइंड पृथ्वीराज चौहान की नगरी यानी अजमेर का निवासी है। सूत्रों की माने तो ट्रस्ट अपनी संपत्ति बेच नहीं सकता, लेकिन ट्रस्ट की माली हालत खराब बताकर सब खेल हो जाता है। वैसे भी कहा गया है जो काम कोई नहीं कर सकता, वह पैसा कर देता है। इसीलिए कहते हैं, ‘बाप बड़ा ना भैया, सबसे बड़ा रुपैय्या।’