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पुष्कर पशु मेला 2024: ध्वजारोहण के साथ भव्य उद्घाटन, सांस्कृतिक और खेलकूद का आयोजन

Pushkar Mela 2024: श्री पुष्कर पशु मेला 2024 का ध्वजारोहण और भव्य उद्घाटन: सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ, खेल प्रतियोगिताएँ और पशुओं की अनोखी आमद

अजमेर, 9 नवम्बर 2024:
राजस्थान के ऐतिहासिक पुष्कर पशु मेले का आज भव्य ध्वजारोहण समारोह के साथ आरंभ हो गया। इस अनोखे आयोजन का उद्घाटन केंद्रीय मंत्री सुरेश सिंह रावत ने किया। यह मेला हर वर्ष अपने आकर्षक पशु प्रदर्शन, सांस्कृतिक कार्यक्रमों और खेलकूद प्रतियोगिताओं के लिए प्रसिद्ध है और इस बार भी इसमें विभिन्न कार्यक्रमों की धूमधाम रहेगी।

पशुपालन विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ. सुनील घीया के अनुसार, इस वर्ष मेले में अब तक 5,181 पशुओं की आमद दर्ज की गई है, जिनमें से 3,794 राजस्थान से और 1,387 अन्य राज्यों से लाए गए हैं। मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा ने मेले के शुभारंभ पर प्रदेशवासियों को बधाई दी और मेले की सफलता की कामना की है। उन्होंने इसे न केवल पशुपालन के लिए बल्कि राज्य के पर्यटन और संस्कृति को बढ़ावा देने वाला एक महत्वपूर्ण आयोजन बताया।


पुष्कर पशु मेले का भव्य उद्घाटन

हर साल की तरह इस बार भी पुष्कर में लगने वाले इस मेले की शुरुआत एक भव्य ध्वजारोहण समारोह के साथ हुई।राजस्थान के प्रसिद्ध श्री पुष्कर पशु मेले का ध्वजारोहण समारोह आज सुबह 10 बजे मंत्रोचार और पूजा के साथ हुआ। इस वर्ष केंद्रीय मंत्री सुरेश सिंह रावत ने ध्वज फहराया और मेले का औपचारिक उद्घाटन किया। इस अवसर पर बड़ी संख्या में स्थानीय और बाहरी लोग इस समारोह में शामिल हुए। पुष्कर मेला अपनी विशिष्टता के कारण न केवल भारत में बल्कि विश्व स्तर पर भी प्रसिद्ध है।

इस भव्य उद्घाटन में जिला कलेक्टर श्री लोक बन्धु ने मुख्य अतिथि के रूप में भाग लिया। इस शुभारंभ समारोह में विभिन्न सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ, नगाड़ा वादन, सैंड आर्ट प्रदर्शन और ऊंट मार्च जैसे आकर्षक आयोजन किए गए।

श्री पुष्कर मेला में पहले दिन के मुख्य कार्यक्रमों में माण्डणा प्रतियोगिता और सामूहिक नृत्य का आयोजन हुआ। इसके बाद स्थानीय और विदेशी खिलाड़ियों के बीच “चक दे राजस्थान” फुटबॉल मैच आयोजित किया गया, जिसमें पुष्कर की संस्कृति और ऊर्जा की झलक देखने को मिली।

उद्घाटन समारोह में विभिन्न रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया, जिसमें लोक कलाकारों ने अपने प्रदर्शन से दर्शकों का मन मोह लिया। इसके साथ ही पुष्कर के आकर्षक परिवेश और मेले की चहल-पहल ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।


पुष्कर सरोवर पर दीपदान और आरती

पुष्कर सरोवर पर शाम 6 बजे दीपदान, रंगोली सज्जा, आरती और पुष्कर अभिषेक का आयोजन हुआ, जो भक्तिमय वातावरण के साथ पर्यटकों को मंत्रमुग्ध कर गया। इसके बाद रात्रि 7 बजे विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुतियाँ क्षेत्रीय कलाकारों द्वारा की गईं, जिसमें दर्शकों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया।


दूसरे दिन के आयोजन और खेलकूद

रविवार, 10 नवम्बर को मेले के दूसरे दिन भी रोमांचक खेल प्रतियोगिताएँ आयोजित की जाएंगी, जिसमें स्थानीय और विदेशी मेहमानों के बीच लंगड़ी टांग, सतोलिया और गिल्ली डंडा जैसे पारंपरिक खेल होंगे। इसके अलावा, ऊंट श्रृंगार प्रतियोगिता और उष्ट्र नृत्य जैसे अनोखे आयोजनों का आयोजन भी किया जाएगा, जिससे मेले में सांस्कृतिक विरासत और रंग-बिरंगी परंपराएँ देखने को मिलेंगी।

रात्रि 7 बजे मेला मैदान में अनिरूद्ध वर्मा अपनी विशेष प्रस्तुति देंगे, जो मेले की शोभा और बढ़ा देंगे।


श्री पुष्कर पशु मेला 2024 में पशुओं की रिकॉर्ड आमद

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पशुपालन विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ. सुनील घीया ने बताया कि इस वर्ष पुष्कर मेले में कुल 5,181 पशुओं की आमद दर्ज की गई है, जिनमें राजस्थान और अन्य राज्यों के पशु शामिल हैं।

  • गौ वंश: राजस्थान के 19 और राजस्थान के बाहर के 3 पशु।
  • भैंस वंश: राजस्थान के 3 पशु।
  • उष्ट्र वंश (ऊंट): राजस्थान के 1,811 और बाहरी राज्यों के 20 ऊंट।
  • अश्व वंश (घोड़े): राजस्थान के 1,961 और बाहर से 1,367।

इस मेले में आने वाले सभी पशुओं की सजावट और उनकी विशिष्ट पहचान प्रस्तुत की जाती है, जो पुष्कर मेले को अद्वितीय बनाती है। यह मेला न केवल एक व्यापारिक केंद्र है, बल्कि राजस्थान की सांस्कृतिक धरोहर को भी संरक्षित और प्रदर्शित करता है।


प्रमुख आकर्षण और सांस्कृतिक कार्यक्रम

पुष्कर पशु मेला का प्रमुख आकर्षण ऊंट श्रृंगार प्रतियोगिता, पारंपरिक खेलकूद, दीपदान और सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ हैं। इसके अलावा, मेला स्थल पर स्थानीय हस्तशिल्प, परिधान और आभूषण की दुकानें भी पर्यटकों को आकर्षित करती हैं। पुष्कर मेला राजस्थान की संस्कृति, धर्म और परंपरा का संगम है, जहां दूर-दूर से आए पर्यटक इस अद्भुत आयोजन का आनंद लेते हैं।


मेले में आकर्षक प्रतियोगिताओं का आयोजन

इस मेले में पशु प्रदर्शन के अलावा कई आकर्षक प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जा रहा है। इनमें से कुछ प्रमुख प्रतियोगिताओं में ऊंट सजावट, घोड़ा दौड़, और अन्य खेलकूद शामिल हैं, जो पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बनती हैं। पशुओं के प्रदर्शन के साथ-साथ यह प्रतियोगिताएँ दर्शकों को एक अनोखा अनुभव प्रदान करती हैं।

इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य न केवल पशुओं का व्यापार और प्रदर्शन करना है, बल्कि स्थानीय संस्कृति और परंपराओं को जीवंत बनाना भी है। हर साल इन प्रतियोगिताओं में भाग लेने के लिए बड़ी संख्या में लोग आते हैं और यह आयोजन पुष्कर की अर्थव्यवस्था को भी मजबूत करता है।


पशुओं की आमद और विविधता

पुष्कर मेले में इस वर्ष 5,181 पशुओं की आमद दर्ज की गई है, जिनमें से अधिकतर राजस्थान के विभिन्न जिलों से आए हैं। इसके अलावा, अन्य राज्यों से भी व्यापार और खरीद-बिक्री के लिए कई पशु लाए गए हैं। इनमें ऊँट, घोड़े, बैल और गाय जैसे प्रमुख पशु शामिल हैं। इन पशुओं की सजावट और प्रस्तुतिकरण के लिए पशुपालकों द्वारा विशेष तैयारियाँ की गई हैं।

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डॉ. सुनील घीया ने बताया कि इस मेले में राजस्थान की पशु संपदा को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पेश किया जाता है। यह मेला न केवल पशुपालकों के लिए एक व्यापारिक मंच है, बल्कि पशुपालन के क्षेत्र में नवाचार और तकनीकी उन्नति का भी अवसर प्रदान करता है।


पुष्कर पशु मेले की प्रमुख विशेषताएँ

इस वर्ष मेले में कुछ नई विशेषताएँ भी जोड़ी गई हैं, जैसे कि स्मार्ट एनालिटिक्स और ट्रैकिंग तकनीक द्वारा पशुओं के स्वास्थ्य और रखरखाव की निगरानी। इसके अलावा मेले में हरियाली और पर्यावरण के संरक्षण के लिए विशेष प्रयास किए गए हैं। इस तरह के कदम दर्शकों और व्यापारियों के बीच मेले की लोकप्रियता को और भी बढ़ा देते हैं।

इस आयोजन में देश-विदेश से पर्यटक आते हैं, जिससे राज्य की पर्यटन आय में भी वृद्धि होती है। मेला स्थल पर नए पर्यावरण-अनुकूल सुविधाओं का निर्माण किया गया है, जैसे कि जल और बिजली की पुनःप्राप्ति के उपाय और ग्रीन एनर्जी सोल्यूशंस का उपयोग।


मेला स्थल पर सुरक्षा और सुविधाएँ

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इस वर्ष पुष्कर मेले में सुरक्षा और सुविधाओं का विशेष ध्यान रखा गया है। राजस्थान पुलिस के सहयोग से विभिन्न सुरक्षा उपाय किए गए हैं, ताकि सभी दर्शक और पशुपालक सुरक्षित और सहज महसूस कर सकें। मेला स्थल पर जगह-जगह चिकित्सा शिविर भी लगाए गए हैं, ताकि किसी भी आपात स्थिति में तुरंत सहायता मिल सके।

इस बार दर्शकों और व्यापारियों की सुविधा के लिए डिजिटल भुगतान सुविधाएँ भी उपलब्ध कराई गई हैं, जिससे लेन-देन में सरलता हो। Wi-Fi, ATM और जल प्रबंधन के उपायों से मेले का अनुभव और भी सुखद हो गया है। इसके साथ ही पशुपालकों के लिए विशेष सहायता केंद्र भी बनाए गए हैं, जहां उन्हें पशुओं के बारे में आवश्यक जानकारी और सलाह प्राप्त होती है।


पुष्कर मेले में सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व

पुष्कर मेला न केवल व्यापार और पशुपालन के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि इसका गहरा धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व भी है। मेला स्थल पर स्थित पुष्कर झील और ब्रह्मा मंदिर हर वर्ष हजारों श्रद्धालुओं को आकर्षित करते हैं। पुष्कर झील के पवित्र स्नान और ब्रह्मा मंदिर में दर्शन का विशेष महत्व माना जाता है।

पुष्कर मेला एक ऐसा आयोजन है जो पर्यटन, संस्कृति, धर्म और अर्थव्यवस्था को एक साथ जोड़ता है। यह आयोजन पर्यटकों को राजस्थान की पारंपरिक संस्कृति से रूबरू कराता है और इसके माध्यम से स्थानीय हस्तशिल्प और कला को भी बढ़ावा मिलता है।

पुष्कर पशु मेला 2024 में भाग लेने आए पर्यटक इस ऐतिहासिक मेले के अनुभवों को हमेशा याद रखेंगे। मेले के इस भव्य आयोजन का उद्देश्य न केवल पशुपालन और व्यापार को बढ़ावा देना है, बल्कि राजस्थान की सांस्कृतिक धरोहर को जीवंत बनाना भी है।


Pushkar Mela 2024: प्रश्न और उत्तर

1. पुष्कर मेला किस लिए प्रसिद्ध है?
उत्तर: पुष्कर मेला राजस्थान का एक प्रसिद्ध आयोजन है, जो पशुओं के व्यापार, सांस्कृतिक कार्यक्रमों, धार्मिक महत्व और खेलकूद के लिए जाना जाता है।

2. पुष्कर मेले में कितने पशुओं की आमद होती है?
उत्तर: इस वर्ष पुष्कर मेले में लगभग 5,181 पशुओं की आमद हुई है, जिसमें ऊँट, घोड़े, बैल और गाय प्रमुख हैं।

3. पुष्कर मेले का मुख्य आकर्षण क्या है?
उत्तर: पुष्कर मेले का मुख्य आकर्षण पशुओं का व्यापार, ऊँट सजावट प्रतियोगिता, घोड़ा दौड़, और सांस्कृतिक कार्यक्रम हैं।

4. पुष्कर मेला किन दिनों में आयोजित होता है?
उत्तर: पुष्कर मेला हर साल अक्टूबर-नवंबर में आयोजित होता है, जो कार्तिक पूर्णिमा के दौरान होता है।

5. पुष्कर मेले का धार्मिक महत्व क्या है?
उत्तर: पुष्कर झील में स्नान और ब्रह्मा मंदिर के दर्शन का विशेष धार्मिक महत्व है। मेले में श्रद्धालु इस पवित्र स्थल पर आकर पूजा-अर्चना करते हैं।


यह पुष्कर मेला न केवल राजस्थान बल्कि पूरे देश और विदेश से पर्यटकों को आकर्षित करता है। इस मेले के माध्यम से स्थानीय संस्कृति, पशुपालन और धार्मिक महत्व का अद्वितीय संगम देखने को मिलता है, जो हर साल लाखों लोगों को यहाँ आने के लिए प्रेरित करता है।

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