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मीडिया से बोले पायलट, यह पद की नहीं आत्मसम्मान की लड़ाई थी

आम मत | नई दिल्ली

राजस्थान में पिछले एक महीने से चल रहे सियासी संग्राम में सोमवार को सचिन पायलट पहली बार मीडिया से रू-ब-रू हुए। इससे पहले, इस पॉलिटिकल खींचतान में राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा की सोमवार सुबह हुई एंट्री के साथ ही चीजें बदल गई हैं।

सचिन पायलट ने राहुल गांधी से कांग्रेस वॉर रूम 15 जीआरजी में मुलाकात की। इस दौरान प्रियंका भी मौजूद रहीं। उधर, कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने राज्य के सीएम अशोक गहलोत से बातचीत की। इसके बाद सोनिया ने एक कमेटी बनाई।

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बैठक के बाद पायलट ने मीडिया से बातचीत में कहा कि यह पद की नहीं, आत्मसम्मान की लड़ाई थी। उन्होंने कहा पार्टी पद देती है तो ले भी सकती है। जो वादे सत्ता में करके आए थे, वो पूरा करेंगे।

सचिन पायलट ने कहा कि लंबे समय से कुछ मुद्दों को मैं उठाना चाहता था। शुरू से ही कह रहा हूं कि ये लड़ाई आदर्शों पर थी। मैंने हमेशा ही सोचा था कि पार्टी हित में इन मुद्दों को उठाना जरूरी है। सोनिया जी ने परेशानियों और सरकार की समस्याओं को सुना। लगता है कि मुद्दों को हल किया जाएगा।

कमेटी निकालेगी मसले का हल

सूत्रों के मुताबिक, पायलट ने कहा कि वह कांग्रेस के खिलाफ नहीं थे, वे केवल गहलोत का विरोध कर रहे थे। उन्होंने वह हालात भी समझाए, जिनके चलते उन्होंने बगावती कदम उठाए। इसके बाद तय हुआ कि पायलट पार्टी के अन्य वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात करेंगे। एक कमेटी का गठन किया गया ताकि इस मसले को हल करने का रास्ता निकाला जा सके। कमेटी की पायलट और उनके समर्थक विधायकों से बातचीत हुई।

पार्टी की पायलट के सामने तीन शर्तें

इधर, कांग्रेस ने पायलट के सामने तीन शर्तें रखीं। इसमें कहा गया कि पायलट दिल्ली आकर संगठन में किसी पद पर जिम्मेदारी संभालें। पायलट गुट के किसी नेता को डिप्टी सीएम बना दिया जाएगा। साथ ही, पायलट से यह भी कहा गया कि विधानसभा सत्र शुरू होने पर उनका खेमा राज्य सरकार के पक्ष में वोटिंग करेगा।

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