आम मत | नई दिल्ली
राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी की याचिका में गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। शीर्ष कोर्ट ने सचिन पायलट सहित 19 विधायकों के अयोग्यता नोटिस के खिलाफ राजस्थान हाईकोर्ट की सुनवाई रोकने से इनकार कर दिया।
साथ ही, स्पीकर जोशी को हाईकोर्ट का फैसला आने तक कोई कार्रवाई न करने के निर्देश भी दिए हैं। हाईकोर्ट शुक्रवार 24 जुलाई को मामले पर फैसला सुनाएगा। सुप्रीम कोर्ट में मामले की अगली सुनवाई सोमवार 27 जुलाई को होगी।
स्पीकर सीपी जोशी की ओर से कांग्रेस नेता और वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिबल ने पैरवी की। कोर्ट के सामने सिबल ने कई तर्क पेश किए। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने अहम टिप्पणी करते हुए कहा कि असंतोष की आवाज को दबाया नहीं जा सकता।
कोर्ट में बोले सिबल-पार्टी विरोधी कामों में शामिल रहे सभी 19 विधायक
सिबल से कोर्ट ने पूछा कि विधायकों को किस आधार पर अयोग्यता नोटिस जारी की गई ? इसका जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि विधायक पार्टी बैठक में शामिल नहीं हुए, वे पार्टी विरोधी गतिविधियों में लिप्त हैं। वे हरियाणा के एक होटल में रुके हुए हैं। उनसे संपर्क नहीं हो रहा है और वे अपनी पार्टी के खिलाफ फ्लोर टेस्ट की मांग कर रहे हैं।
कोर्ट ने पूछा क्या चुने हुए लोग असहमति व्यक्त नहीं कर सकते?
इसके बाद जस्टिस अरुण मिश्रा ने सिब्बल से पूछा, ‘क्या लोगों द्वारा चुने गए व्यक्ति अपनी असहमति व्यक्त नहीं कर सकते?’ असंतोष की आवाज को दबाया नहीं जा सकता। लोकतंत्र में क्या किसी को इस तरह से रोका जा सकता है?’ इससे पहले सिब्बल ने कहा कि कोर्ट निर्णय का समय बढ़ाने के लिए स्पीकर को निर्देश नहीं दे सकता।
यह न्यायालय के अधिकार क्षेत्र में नहीं है। सुनवाई के दौरान स्पीकर के वकील कपिल सिब्बल ने कहा है कि इस स्टेज पर प्रोटेक्टिव ऑर्डर नहीं दिया जा सकता। हाईकोर्ट ने नोटिस का जवाब देने के लिए समय बढ़ा दिया और कहा कि कोई कार्रवाई नहीं की जाए, यह प्रोटेक्टिव ऑर्डर है।
यह सामान्य मामला नहींः कोर्ट
कोर्ट ने पूछा कि वे किस आधार पर विधायकों को अयोग्य ठहराना चाहते हैं तो सिबल ने जवाब दिया कि वे (पायलट और 18 विधायक) विधायक दल की बैठक में शामिल नहीं हुए। साथ ही, पार्टी विरोधी कामों में संलिप्त भी रहे। इस पर जस्टिस अरुण मिश्र ने कहा कि यह सामान्य मामला नहीं है। ये सभी विधायक चुन कर आए हैं।