आम मत | जयपुर
राजस्थान के सियासी खींचतान में शुक्रवार सुबह से ही नए-नए मोड़ आ रहे हैं। मामले में पहला मोड़ हाईकोर्ट से गहलोत खेमे को झटका लगने पर आया। इसके बाद गहलोत गुट ने रुख किया राजभवन का।
यहां सीएम अशोक गहलोत और उनके गुट ने राज्यपाल कलराज मिश्र से विधानसभा सत्र बुलाने की मांग की। इस मांग को राज्यपाल मिश्र ने ठुकरा दिया। इसके बाद मुख्यमंत्री के समर्थक विधायकों ने राजभवन में धरना दिया। साथ ही, मुख्यमंत्री ने राज्यपाल के खिलाफ बयान दिया।
सीएम ने कहा कि राज्यपाल संवैधानिक पद पर है और इस पद की गरिमा को बनाए रखनी चाहिए। उन्हें किसी के दबाव में ना आते हुए विधानसभा सत्र बुलाना चाहिए। इसके बाद शुक्रवार रात को राज्यपाल कलराज मिश्र ने सीएम गहलोत के नाम पत्र लिखा।
उन्होंने कहा कि इससे पहले कि मैं विधानसभा सत्र के संबंध में विशेषज्ञों से चर्चा करता। आपने सार्वजनिक तौर पर कहा कि यदि राजभवन का घेराव होता है तो यह आपकी जिम्मेदारी नहीं है। मैंने ऐसा बयान किसी मुख्यमंत्री से नहीं सुना।
राजभवन का घेराव क्या गलत प्रवर्त्ति की शुरुआत तो नहींः मिश्र
उन्होंने सीएम से सवाल किया कि क्या आप और आपका गृह मंत्रालय राज्यपाल की सुरक्षा भी नहीं कर सकता है क्या? राज्य में कानून व्यवस्था की स्थिति पर आपका क्या मत है? उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि राज्यपाल की सुरक्षा के लिए किस एजेंसी से संपर्क किया जाए। क्या यह एक गलत प्रवृत्ति की शुरुआत नहीं है, जहां विधायक राजभवन में विरोध प्रदर्शन करते हैं?
सत्र बुलाने के लिए दिया गया था शॉर्ट नोटिस
राज्यपाल ने लिखा कि राज्य सरकार के जरिए 23 जुलाई की रात को विधानसभा के सत्र को काफी कम नोटिस के साथ बुलाए जाने की पत्रावली पेश की गई। पत्रावली का एनालिसिस किया गया। कानून विशेषज्ञों से सलाह ली गई।
राज्यपाल मिश्र ने ये भी लिखा कि इतने शॉर्ट नोटिस पर सत्र बुलाने का ना तो कारण दिया गया। ना ही कोई एजेंडा प्रस्तावित किया गया। सामान्य प्रक्रिया में सत्र बुलाए जाने के लिए 21 दिन को नोटिस जरूरी है। राज्य सरकार को विधायकों की स्वतंत्रता भी सुनिश्चित करनी चाहिए।