भारतीय-अमेरिकी राजनीति: भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2023 में अमेरिकी कांग्रेस को संबोधित करते हुए कमला हैरिस की भारतीय जड़ों का जिक्र किया, जिससे भारतीय-अमेरिकी समुदाय के बढ़ते राजनीतिक प्रभाव पर चर्चा शुरू हुई। कमला हैरिस, जिनकी माँ भारत से थीं, पहली भारतीय-अमेरिकी महिला हैं जो अमेरिका के सर्वोच्च पद के लिए चुनाव लड़ रही हैं। इस लेख में, भारतीय-अमेरिकी समुदाय की राजनीतिक सक्रियता और अमेरिका में उनके वोटिंग पैटर्न पर विस्तार से चर्चा की गई है।
भारतीय-अमेरिकी राजनीति: कमला हैरिस और नरेंद्र मोदी की भूमिका
नरेंद्र मोदी जब 2023 में अमेरिकी कांग्रेस को संबोधित करने पहुंचे, तो उन्होंने एक विशेष बात कही: “यहां कई लोग हैं जिनकी जड़ें भारत से हैं। कुछ गर्व से इस सदन में बैठे हैं, और उनमें से एक मेरे ठीक पीछे हैं, जिन्होंने इतिहास रचा है।” मोदी का इशारा था अमेरिका की उपराष्ट्रपति कमला हैरिस की तरफ, जिनकी माँ भारत से थीं। मोदी ने मज़ाक में कहा, “अब ‘समोसा कॉकस’ सदन का नया स्वाद है,” जिसमें उन्होंने भारतीय-अमेरिकी विधायकों की बात की जो अमेरिका की राजनीति में सक्रिय हैं।
भारतीय-अमेरिकी समुदाय की बढ़ती राजनीतिक शक्ति
1. भारतीय-अमेरिकी समुदाय का अमेरिकी राजनीति में उदय
भारतीय-अमेरिकी समुदाय अब अमेरिकी राजनीति में एक प्रमुख शक्ति के रूप में उभर रहा है। कमला हैरिस की उम्मीदवारी इस बात का प्रतीक है कि भारतीय-अमेरिकी समुदाय की राजनीतिक शक्ति बढ़ रही है।
- 1957 में दलीप सिंह सौंद पहले भारतीय-अमेरिकी थे जो अमेरिकी कांग्रेस में चुने गए थे।
- आज अमेरिकी कांग्रेस में पांच भारतीय-अमेरिकी सदस्य हैं और राज्य विधानसभाओं में लगभग 40 भारतीय-अमेरिकी सेवा दे रहे हैं।
- भारतीय-अमेरिकियों की वोटिंग दर एशियाई-अमेरिकियों में सबसे अधिक है, जो उन्हें एक महत्वपूर्ण वोटिंग ब्लॉक बनाती है।
2. लोकतंत्र का अनुभव और राजनीतिक सक्रियता
भारतीय-अमेरिकी मतदाता इस वजह से अधिक सक्रिय होते हैं क्योंकि वे एक लोकतांत्रिक देश से आते हैं। इसका मतलब यह है कि उनका राजनीतिक रूप से संलग्न होना स्वाभाविक है।
- लोकतांत्रिक देशों से आने वाले लोग स्वाभाविक रूप से राजनीतिक और नागरिक गतिविधियों में संलग्न होते हैं।
- राजनीतिक दृष्टिकोण से, भारतीय-अमेरिकी समुदाय अक्सर अपनी जड़ों और लोकतांत्रिक मूल्यों की वजह से अमेरिकी राजनीति में अधिक सक्रिय रहता है।
- इसके साथ ही, भारतीय-अमेरिकियों का शैक्षिक और आर्थिक रूप से मजबूत होना उन्हें अधिक संसाधन उपलब्ध कराता है, जिससे वे राजनीतिक फंडिंग में भी भाग लेते हैं।
3. भारतीय-अमेरिकियों का भारत के प्रति दृष्टिकोण
हालांकि भारतीय-अमेरिकी समुदाय के सदस्य अपने देश को सकारात्मक दृष्टिकोण से देखते हैं, लेकिन अधिकांश ने कहा कि वे भारत वापस नहीं जाएंगे।
- 76% भारतीय-अमेरिकी भारत के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण रखते हैं।
- इसके बावजूद, दूसरी पीढ़ी के भारतीय-अमेरिकी भारत में बसने के बजाय अमेरिका में ही रहने को प्राथमिकता देते हैं।
- भारतीय राजनीति में भी इस समुदाय की गहरी रुचि है, जैसा कि नरेंद्र मोदी के भाषण में 25,000 से अधिक लोगों की उपस्थिति से स्पष्ट होता है।
4. अमेरिकी चुनावों में भारतीय-अमेरिकियों का वोटिंग पैटर्न
हालांकि नरेंद्र मोदी भारतीय-अमेरिकियों के बीच बेहद लोकप्रिय हैं, फिर भी उनके प्रभाव का सीमित असर अमेरिकी चुनावों पर पड़ता है।
- भारतीय-अमेरिकी समुदाय अधिकांशतः डेमोक्रेटिक पार्टी को समर्थन करता है।
- डोनाल्ड ट्रंप और मोदी के संबंधों को देखते हुए, ट्रंप ने भारतीय-अमेरिकी वोटों को आकर्षित करने की कोशिश की, लेकिन इसका सीमित प्रभाव रहा।
- रिपब्लिकन पार्टी में एक धारणा है कि भारतीय-अमेरिकी सिर्फ नाम की वजह से डेमोक्रेटिक पार्टी को वोट देते हैं, लेकिन इसके पीछे लोकतांत्रिक मूल्य भी एक बड़ी वजह है।
5. ट्रंप या हैरिस: कौन है भारतीय-अमेरिकियों के लिए बेहतर?
हालांकि डोनाल्ड ट्रंप और मोदी के अच्छे संबंध हैं, यह कहना मुश्किल है कि मोदी किसे समर्थन देंगे, अगर उन्हें सार्वजनिक रूप से समर्थन देने का मौका मिले।
- कमला हैरिस के भारत से व्यक्तिगत संबंध हैं, लेकिन उनकी प्राथमिकताएँ और उनके समर्थक भारत के लोकतांत्रिक और मानवाधिकारों के मुद्दों पर अधिक ध्यान देते हैं।
- डोनाल्ड ट्रंप के एंटी-इमिग्रेशन और एंटी-ग्लोबलाइजेशन रुख भारत के लिए हानिकारक हो सकते हैं।
- अगर मोदी को चुनना पड़े, तो संभवतः वह हैरिस और बाइडेन प्रशासन की स्थिरता को प्राथमिकता देंगे, बजाय ट्रंप की अनिश्चितता के, भले ही ट्रंप से उन्हें घरेलू राजनीति में कुछ छूट मिल सकती हो।
भारतीय-अमेरिकी समुदाय अमेरिकी राजनीति में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है, और कमला हैरिस का उपराष्ट्रपति बनने का सफर इस समुदाय के लिए गर्व का विषय है। अमेरिकी चुनावों में भारतीय-अमेरिकियों की भागीदारी दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है, और यह स्पष्ट है कि भारतीय-अमेरिकी मतदाता अब केवल दर्शक नहीं हैं, बल्कि अमेरिकी राजनीति के महत्वपूर्ण खिलाड़ी हैं।
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