नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने जाति आधारित जनगणना (Caste Based Census) को मंजूरी दे दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल (Cabinet Meeting) की बैठक में इस ऐतिहासिक निर्णय पर मुहर लगाई गई। सरकार के इस कदम को सामाजिक समावेशन (Social Inclusion) और भविष्य की नीतियों के निर्माण की दिशा में एक निर्णायक पहल माना जा रहा है।
विपक्षी दलों ने भी इस निर्णय का स्वागत किया है और इसे “समाज के हाशिए पर खड़े वर्गों की सच्ची तस्वीर सामने लाने वाला कदम” बताया है। कांग्रेस, राजद, जेडीयू और समाजवादी पार्टी सहित कई दल लंबे समय से जाति आधारित जनगणना की मांग कर रहे थे।

सरकार के अनुसार, यह जनगणना केवल आंकड़ों के संकलन तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि इसका उद्देश्य विभिन्न सामाजिक समूहों की मौजूदा स्थिति को बेहतर ढंग से समझना और उनके लिए लक्षित योजनाएं बनाना है। सरकार का मानना है कि इससे कल्याणकारी योजनाओं (Welfare Schemes) को और प्रभावी ढंग से लागू किया जा सकेगा।
Caste Based Census: नीति निर्माण में आएगा बदलाव
वर्तमान में सरकारी योजनाएं मुख्यतः आर्थिक या क्षेत्रीय आधार पर तैयार की जाती हैं। लेकिन सामाजिक वैज्ञानिकों और नीति विश्लेषकों का कहना है कि जब तक जाति आधारित वास्तविक आँकड़े सामने नहीं आते, तब तक सामाजिक असमानताओं (Social Inequality) को दूर करना कठिन रहेगा। इस निर्णय से अब डेटा आधारित नीति निर्माण (Data Driven Policy Making) को बल मिलेगा।
Caste Census 2025: विपक्ष की प्रतिक्रिया
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इस कदम का समर्थन करते हुए कहा, “सच्चाई से डरना नहीं चाहिए। जाति आधारित जनगणना से हमें समाज की वास्तविक संरचना समझने में मदद मिलेगी।”
राजद प्रमुख तेजस्वी यादव ने ट्वीट कर कहा, “यह हमारे लंबे संघर्ष की जीत है। अब हमें उम्मीद है कि इसके आधार पर हक़ और हिस्सेदारी सुनिश्चित की जाएगी।”
समाजशास्त्रियों की राय
विशेषज्ञों का मानना है कि जातिगत जनगणना से केवल सामाजिक स्थिति का ही नहीं, बल्कि शिक्षा, रोजगार, और आर्थिक संसाधनों के वितरण में भी गहराई से विश्लेषण किया जा सकेगा। पटना विश्वविद्यालय के समाजशास्त्र विभाग के प्रोफेसर डॉ. राजेश तिवारी कहते हैं, “यह निर्णय ऐतिहासिक है। इससे हमें वास्तविक सामाजिक ढांचे की समझ मिलेगी और नीतियों को बेहतर तरीके से लागू किया जा सकेगा।”
सावधानी और पारदर्शिता की आवश्यकता
हालांकि, कुछ वर्गों ने जनगणना की प्रक्रिया में पारदर्शिता (Transparency) और गोपनीयता (Privacy) बनाए रखने की मांग की है। सरकार ने आश्वासन दिया है कि सभी डेटा आधुनिक तकनीकों के माध्यम से सुरक्षित रूप से संग्रहित किए जाएंगे और किसी भी समुदाय के अधिकारों का उल्लंघन नहीं होगा।
अगला कदम
अब गृह मंत्रालय (Ministry of Home Affairs India) इस प्रक्रिया के लिए विस्तृत कार्य योजना तैयार करेगा। जनगणना की तारीखों और प्रक्रियाओं की घोषणा जल्द की जाएगी। यह जनगणना डिजिटल प्लेटफॉर्म्स (Digital Platforms) के माध्यम से भी संचालित की जा सकती है, जिससे डेटा संग्रहण में पारदर्शिता और गति सुनिश्चित हो सके।
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