आम मत | नई दिल्ली
चीन की एक प्रमुख वैज्ञानिक के अनुसार, चीन को इस वायरस के बारे में दुनिया को जानकारी देने से काफी पहले से ही पता था। इसके बाद भी चीन ने दुनिया को देर से जानकारी दी। इस साइंटिस्ट का नाम है डॉ. ली मेंग यान। डॉ. यान इस वर्ष अप्रैल में चीन से अमेरिका भाग गई थी। वे स्कू ऑफ पब्लिक हेल्थ में वायरोलॉजी और इम्यूनोलॉजी की विशेषज्ञ रहीं।
यान के मुताबिक, वे जब कैंपस से निकल रही थी तो उन्होंने कैमरों और सेंसर से बचने के सारे उपाय किए थे। उन्हें डर था कि अगर वे इनकी जद में आ गई तो उन्हें जेल हो सकती है या उन्हें गायब किया जा सकता है। उन्होंने ये भी कहा कि उन्होंने वायरस को लेकर की गई रिसर्च सुपरवाइजर के सामने भी रखी थी, जिसे नजरअंदाज कर दिया गया था। डॉ. यान ने एक अमेरिकी टीवी चैनल को एक साक्षात्कार में बताया कि चीन उन पर साइबर अटैक कर रहा है। उन्होंने ये भी कहा कि उन्हें जान का खतरा है।
अगर वे चीन में रहती तो उन्हें मार दिया जाता। उनका दावा है कि वे विश्व के उन वैज्ञानिकों में शामिल थी, जिन्होंने सबसे पहले कोरोना पर स्टडी की थी। उन्होंने ये भी दावा किया कि चीन ने पिछले साल दिसंबर में हॉन्गकॉन्ग के विशेषज्ञ को भी इस वायरस पर रिसर्च करने से रोका था। इसके बाद उन्होंने अपने स्तर पर वायरस पर जानकारी जुटाई थी। डॉ. यान के अनुसार, शुरुआती केसों के बाद चीन के अधिकांश डॉक्टरों ने कहा था कि वे इसके बारे में बात नहीं कर सकते। उन्हें मास्क पहनने की आवश्यकता है।
उनका दावा है कि संक्रमितों की समय पर ना तो जांच की गई और ना ही इलाज किया गया। सभी डॉक्टर डर के साये में थे। वायरस को लेकर बात तक नहीं कर पा रहे थे। उन्हें भी सुपरवाइजर ने धमकी दी थी। उल्लेखनीय है कि डॉ. यान ने 31 दिसंबर को ही यह बता दिया था कि कोरोना इंसान से इंसान में फैलता है। लेकिन चीन ने विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) या दुनिया को इसकी जानकारी नहीं दी थी। वहीं, 9 जून को डब्ल्यूएचओ ने कहा था कि चीन के अनुसार यह वायरस इंसानों से इंसानों में नहीं फैलता है।