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धृतराष्ट्र बन कॉम्प्लेक्स किए सील, जिन्हें सील करना था उन्हें छोड़ अन्य पर चस्पाया कागज

  • अब कर रहे मांडवाली का खेल, निगम कर्मियों की हो रही बल्ले-बल्ले
  • जयपुर के शास्त्री नगर स्थित सीकर हाउस मार्केट का मामला

आम मत | हरीश गुप्ता

जयपुर। अवैध निर्माण को लेकर जयपुर नगर निगम सवालों के घेरे में वर्षों से आ रहा है और अब तो इनकी चमड़ी इतनी मोटी हो चुकी है कि मगर को भी शर्म आ जाए। इस बार कोर्ट के डर के मारे कार्रवाई तो की, लेकिन उसमें भी भारी खेल कर दिया। राम की जगह श्याम का काॅम्पलेक्स सील कर गए।

मामला शास्त्री नगर से सटे हुए सीकर हाउस मार्केट का है। आज यह क्षेत्र पूरी तरह से नए कॉम्पलेक्स से अटा हुआ है। दो-चार काॅम्पलेक्स को छोड़ दें तो ऐसी कोई इमारत नहीं जो वैध निर्माण की शर्तों पर खरी उतरे। इसी के चलते एक सज्जन ने उच्च न्यायालय में पीआईएल दायर की। उस पर कोर्ट ने निगम के आलाओं से जवाब तलब किया।

निगम अधिकारियों ने आनन-फानन में की कॉम्प्लेक्स सील की कार्रवाई

करीब डेढ़ महीने पहले खुद को फंसता देख निगम के अधिकारियों ने आनन-फानन में अवैध निर्माण वाले काॅम्पलेक्स को सील की कार्रवाई शुरू कर दी। सील करने वाले कर्मचारी अवैध निर्माण वाले काॅम्पलेक्स को सील करने की बजाय या यूं कहें जिन काॅम्पलेक्स के बारे में पीआईएल में जिक्र किया था, उनकी जगह दूसरे काॅम्पलेक्स पर सील की कार्रवाई कर गए।

सुबह दुकानदार जब दुकान पहुंचे तो मचा हड़कंप

जानकारी के अनुसार, सुबह जब व्यापारी दुकान खोलने पहुंचे तब हड़कंप मच गया। घबराए व्यापारी ‘बड़े लोगों’ की चौखट पर धोक देने पहुंचे, लेकिन कुछ नहीं हुआ। उसके बाद पूर्व पार्षद से संपर्क साधा तो उसने भी हाथ खड़े कर दिए। उसकी मजबूरी यह थी कि उसके तीन कॉम्पलेक्स सील होने थे, हुए नहीं।

जानकारी के मुताबिक व्यापारियों ने चाल चली और होटल में एकत्र हुए। वहीं निगम के खास दलाल रूपी उस व्यक्ति को बुलाया, जिसने सील फड़वाने का आश्वासन दिया था। भगवान शिव के पर्यायवाची इस बाबू से व्यापारियों ने मास्टरमाइंड के बारे में पूछा और बुलवाकर व्यापारियों ने जमकर उसे खरी-खोटी सुनाई।

सवाल ये कि सालों से चल रही दुकानों को क्यों बनाया निशाना?

अब सवाल उठता है कि जिन कॉम्पलेक्स को सील करना था उन्हें क्यों नहीं किया गया? जो 15-20 सालों से दुकानें चल रही हैं उन्हें क्यों निशाना बनाया गया? क्या बेगुनाह दुकानदारों से वसूली करने का इरादा है? क्या कोर्ट में लगने वाला जुर्माना आदि का खर्च बेगुनाहों से वसूला जाएगा? किसी ने सही कहा है, ‘वो नहीं बाबू जो आ जाए काबू, अगर आ गया काबू तो वो नहीं असल बाबू।’

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