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जीजेयूएसटीः उपकुलपति नियुक्ति पर पीएम को पत्र, सीबीआइ जांच की मांग

नई दिल्ली. हरियाणा की गुरु जम्भेश्वर यूनिवर्सिटीज ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी (जीजेयूएसटी) में उपकुलपति की वर्ष 2015 में हुई नियुक्ति को गैर कानूनी बताते हुए प्रधानमंत्री और अन्य विभागों को पत्र लिखा गया है। पत्र के जरिए फर्जीवाड़े के खिलाफ सीबीआइ जांच की मांग की गई है। समाजसेवी डॉ. एस. गर्ग ने इस फर्जीवाड़े का खुलासा किया है।

जीजेयूएसटीः उपकुलपति नियुक्ति पर पीएम को पत्र, सीबीआइ जांच की मांग | UGC Building 1
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उन्होंने अपने पत्र में लिखा कि हरियाणा सरकार ने वर्ष 2015 में जीजेयूएसटी (GJUST)के लिए उपकुलपति पद के लिए आवेदन मांगे थे। इसके लिए वही व्यक्ति आवेदन कर सकता था, जिसे 10 वर्ष प्रोफेसर या समकक्ष पद का अनुभव हो। वर्तमान में इस पर टंकेश्वर कुमार सचदेवा नियुक्त हैं। उनकी नियुक्ति को गैर कानूनी बताया गया है। पत्र में लिखा गया कि सचदेवा इस पद के लिए आवेदन ही नहीं कर सकते थे, क्योंकि आवेदन की अंतिम तिथि तक उनका प्रोफेसर या समकक्ष पद का अनुभव 10 वर्ष नहीं था। इसके बावजूद उन्हें इस पद पर नियुक्ति दे दी गई, जो पूरी तरह गैरकानूनी (illegal) है। गर्ग ने यह भी लिखा कि सचदेवा ने वर्ष 2014 में ही यूजीसी के फैकल्टी रिचार्ज प्रोग्राम के तहत प्रोफेसर (Professor) पदनाम का कार्यभार ग्रहण किया था। सचदेवा ने अपने आवेदन फॉर्म में जो जानकारियां भरी हैं वे गलत हैं। सचदेवा ने खुद को वर्ष 2005 से 2014 तक खुद को डायरेक्टर-प्रोफेसर (Director-Professor) दर्शाया था, जबकि इस दौरान उन्होंने इस पद (Post) पर काम ही नहीं किया था। पत्र में यह भी बताया गया कि उपकुलपति (Vice Chancellor) पद के लिए आवेदन मौजूद नियोक्ता के जरिए ही किया जा सकता है। वहीं, वर्तमान उपकुलपति सचदेवा ने इस शर्त का उल्लंघन कर आवेदन निजी तौर पर दाखिल किया था। दूसरी ओर, इस नौकरी (Job) के लिए दी गई अन्य शर्तों में से एक शर्त यह भी थी कि न्यूनतम अनुभव (Minimum Experience) के आधार पर ही इंटरव्यू के लिए बुलाया जाए, इसे जरूरत के अनुसार बढ़ाया भी जा सकता है। वहीं आवेदन पत्रों की जांच के दौरान उन लोगों के आवेदन को निरस्त (Cancel) कर दिया गया, जो इस पद के लिए जरूरी अनुभव (Experience) नहीं रखते थे। लेकिन सचदेवा का आवेदन निरस्त नहीं किया गया। स्क्रूटिनी कमेटी (Scrutiny Committee) और सिलेक्शन समिति (Selection Committee) ने सचदेवा के पास अनिवार्य न्यूनतम 10 वर्ष का अनुभव ना होने के बावजूद भी आवेदन स्वीकार कर लिया। डॉ. गर्ग ने टंकेश्वर कुमार सचदेवा की उपकुलपति पद पर नियुक्ति में अधिकारियों और कर्मचारियों की मिलीभगत का आरोप लगाया है। उन्होंने इस फर्जीवाड़े की सीबीआइ (CBI) जांच की मांग की है।

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107 आवेदनों में से 24 उम्मीदवारों का हुआ था इंटरव्यू

पत्र में डॉ. गर्ग ने बताया कि इस पद के लिए कुल 107 लोगों ने आवेदन (Apply) किया था। विभिन्न स्तरों पर स्क्रूटिनी (Scrutiny) के बाद सिर्फ 24 आवेदनकर्ताओं को ही इंटरव्यू के लिए ही सिलेक्शन समिति ने बुलाया था। इस समिति में आईएएस पीके दास, आईएएस धीरा खंडेलवाल और एमसीएनयूजेएंडसी भोपाल के तत्कालीन उपकुलपति प्रो. बीके कुथिअला थे। इस समिति ने इंटरव्यू के बाद चार अन्य लोगों के नाम भी पद पर नियुक्ति के लिए पैनल में डाल दिए थे। इस पर तत्कालीन शिक्षा मंत्री ने सचदेवा के नाम की अनुशंसा की और मुख्यमंत्री ने इस पर मोहर लगा दी। डॉ. गर्ग ने पत्र में यह भी लिखा कि सिलेक्शन समिति में शामिल प्रो. बीके कुथिअला पूर्व में इसी यूनिवर्सिटी का कर्मचारी था। वह वर्तमान में भी जीजेयूएसटी का मानद प्रोफेसर है। प्रो. कुथिअला के खिलाफ भोपाल में 24 सहायक प्रोफेसरों और वित्त अधिकारी की गैर कानूनी भर्ती मामले में पुलिस द्वारा जांच की जा रही है।

जीजेयूएसटीः उपकुलपति नियुक्ति पर पीएम को पत्र, सीबीआइ जांच की मांग | Prof. Tankeshwar Kumar
जीजेयूएसटी के उप कुलपति प्रो. सचदेवा, जिनकी नियुक्ति को बताया जा रहा है गैर कानूनी

पूर्व में भी हुई शिकायत पर नहीं बनी कमेटी

पत्र में बताया गया कि वर्तमान उपकुलपति सचदेवा के खिलाफ पानीपत के पीपी कपूर ने वर्ष 2018 में शिकायत दर्ज कराई थी। इस पर सरकार ने जांच समिति गठित करने के निर्देश दिए। इस समिति का गठन यह कहकर नहीं होने दिया गया कि पहले इस बात का पता लगाया जाए कि किन बिंदुओं का तथ्यों से निपटारा होगा।

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