28 November 2024 | Phalodi News Aam Mat: फालौदी की बापिणी तहसील में प्रशासनिक तनाव एक नई ऊंचाई पर पहुंच गया है। बुधवार देर रात, कड़ाके की सर्दी के बीच, स्थानीय ग्रामीण तहसील परिसर में धरने पर बैठ गए। इन ग्रामीणों का आरोप है कि तहसीलदार अशोक कुमार की द्वेषपूर्ण कार्यशैली और व्यवहार ने आम नागरिकों और जनप्रतिनिधियों को परेशान किया है। उनकी मांग है कि तहसीलदार का तत्काल स्थानांतरण हो।
धरने के कारण और ग्रामीणों की शिकायतें
ग्रामीणों ने तहसीलदार पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि:
- मॉर्गेज म्यूटेशन और जन्म प्रमाण पत्र जैसे सामान्य कार्यों के लिए लोगों को बार-बार तहसील कार्यालय के चक्कर काटने पड़ते हैं।
- तहसीलदार कार्यों को जानबूझकर अटकाते हैं और कोई वैध कारण दिए बिना देरी करते हैं।
- बैंक ऋण के लिए विधिवत म्यूटेशन के बावजूद, तीन महीने तक फाइल को लंबित रखा गया।
एडवोकेट शेरसिंह भाटी ने बताया कि जन्म प्रमाण पत्र के आवेदन में शपथ पत्र और ग्राम पंचायत द्वारा सत्यापित दस्तावेज़ होने के बावजूद अतिरिक्त प्रमाणिकता की मांग की जाती है। इससे सरल काम भी जटिल और समय-consuming हो जाता है।
धरने पर डटे ग्रामीण और जनप्रतिनिधि
धरने में स्थानीय ब्लॉक सरपंच संघ अध्यक्ष बाबूसिंह, सरपंच सुनील चौधरी (ग्राम पंचायत बापिणी खुर्द), प्रेमसिंह ईशरू, और नाथूसिंह बापिणी सहित कई जनप्रतिनिधि शामिल हुए। इनका आरोप है कि तहसीलदार जनप्रतिनिधियों के साथ भी सम्मानजनक व्यवहार नहीं करते।
मौके पर ग्रामीणों ने खाने-पीने की व्यवस्था की और पूरी रात तहसील परिसर में डटे रहे। खबर लिखे जाने तक, दर्जनों ग्रामीण और किसान, जिनमें दलपतसिंह जाखण, देवीलाल शर्मा, देवीसिंह, और सुरेंद्रसिंह बगासर शामिल थे, धरने पर बैठे रहे।
तहसीलदार के खिलाफ स्थानांतरण की मांग
ग्रामीणों ने यह भी आरोप लगाया कि तहसीलदार अशोक कुमार का स्थानांतरण आदेश एक महीने पहले जारी हो चुका है। इसके बावजूद, वे अब तक बापिणी में कार्यरत हैं और रिलीव नहीं हो रहे।
विशालसिंह नामक किसान ने बताया कि उन्होंने बैंक ऋण के लिए जरूरी म्यूटेशन करवाने की प्रक्रिया पूरी कर दी थी, लेकिन तहसीलदार ने इसे तीन महीने तक जानबूझकर अटकाए रखा।
ग्रामीणों और तहसील कर्मचारियों के बीच बातचीत
धरना शुरू होने के बाद तहसील कर्मचारियों और तहसीलदार ने ग्रामीणों से बातचीत की कोशिश की, लेकिन मामला सुलझ नहीं सका। तहसीलदार के अनुसार, ग्रामीणों के आरोप पूरी तरह निराधार हैं। उन्होंने कहा कि तहसील कार्यालय में आमजन से जुड़े कार्यों में कोई पेंडेंसी नहीं है।
प्रशासनिक कार्यशैली पर सवाल
ग्रामीणों का कहना है कि तहसील कार्यालय में छोटे-छोटे कामों को अनावश्यक रूप से जटिल बनाया जा रहा है। जैसे:
- जन्म प्रमाण पत्र के लिए गवाहों को बुलाना, जबकि आवश्यक दस्तावेज पहले ही जमा हो चुके हैं।
- पंचायत द्वारा प्रमाणित दस्तावेज़ को फिर से राजपत्रित अधिकारी से सत्यापित करवाना।
इन प्रक्रियाओं ने लोगों को परेशान किया है और उनका विश्वास प्रशासन पर से डगमगा रहा है।
स्थानीय प्रशासन का पक्ष
तहसीलदार अशोक कुमार ने अपने बचाव में कहा कि, “तहसील कार्यालय में किसी भी कार्य को लेकर कोई देरी नहीं की जाती है। ग्रामीणों के आरोप झूठे और आधारहीन हैं।”
ग्रामीणों की मांगें और आगे की स्थिति
धरने पर बैठे ग्रामीण तहसीलदार को जल्द से जल्द हटाने की मांग पर अड़े हैं। उनका कहना है कि जब तक उन्हें रिलीव नहीं किया जाता, धरना जारी रहेगा।
बापिणी तहसील में प्रशासनिक विवाद ने स्थानीय लोगों और प्रशासन के बीच बढ़ती खाई को उजागर किया है। तहसीलदार पर लगे आरोप, चाहे सही हों या गलत, एक बड़ी समस्या की ओर इशारा करते हैं—सरकारी कार्यालयों में पारदर्शिता और उत्तरदायित्व का अभाव।
बापिणी जैसे क्षेत्र में प्रशासनिक सुधार आवश्यक हैं, ताकि ग्रामीणों को उनके अधिकार आसानी से मिल सकें और उनकी समस्याओं का समय पर समाधान हो।
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