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भारत ने किया पहली लंबी दूरी की हाइपरसोनिक मिसाइल का सफल परीक्षण

आम मत न्यूज डेस्क | नई दिल्ली: भारत ने अपनी पहली लंबी दूरी की हाइपरसोनिक मिसाइल (DRDO Long Range Missile – India’s 1st Hypersonic Missile) का सफल परीक्षण कर रक्षा प्रौद्योगिकी में एक नई ऊंचाई को छू लिया है। यह ऐतिहासिक परीक्षण 17 नवंबर 2024 को ओडिशा के तट पर स्थित डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम द्वीप से किया गया। इस उपलब्धि ने भारत को उन चुनिंदा देशों की सूची में शामिल कर दिया है, जिनके पास अत्याधुनिक हाइपरसोनिक तकनीक (Hypersonic Technology) है।

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हाइपरसोनिक मिसाइल: गेमचेंजर तकनीक

हाइपरसोनिक मिसाइलें आधुनिक रक्षा प्रौद्योगिकी का प्रतीक हैं। इनकी गति ध्वनि की गति से पांच गुना अधिक होती है, जिससे ये पारंपरिक मिसाइलों की तुलना में कहीं अधिक तेज और प्रभावशाली हैं। इस मिसाइल को 1,500 किलोमीटर से अधिक दूरी तक विभिन्न प्रकार के पेलोड ले जाने के लिए डिज़ाइन किया गया है।

इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह दुश्मन के रडार से बचने में सक्षम है, जिससे इसका लक्ष्य भेदने की क्षमता और भी अधिक प्रभावी हो जाती है। तेज रफ्तार और उच्च सटीकता के कारण यह मिसाइल दुश्मन के ठिकानों पर घातक हमले करने में सक्षम है।


डीआरडीओ की ऐतिहासिक सफलता

भारत के रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने इस मिसाइल को विकसित किया है। यह उड़ान परीक्षण भारत की आत्मनिर्भरता और रक्षा क्षेत्र में सशक्तिकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

इस परीक्षण के दौरान मिसाइल को कई अलग-अलग डोमेन में तैनात रेंज प्रणालियों द्वारा ट्रैक किया गया। उड़ान डेटा और परीक्षण के अंतिम चरण में मिसाइल ने सटीक टर्मिनल मैनुवर्स किए, जिससे इसकी उच्च सटीकता और प्रभावशीलता साबित हुई।


रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की प्रतिक्रिया

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस उपलब्धि को ‘ऐतिहासिक उपलब्धि’ करार दिया। उन्होंने कहा,

“यह परीक्षण भारत को अत्याधुनिक और महत्वपूर्ण सैन्य प्रौद्योगिकी में निपुण देशों के समूह में शामिल करता है। यह देश की सुरक्षा और आत्मनिर्भरता को और मजबूत करेगा।”

उन्होंने इस सफलता का श्रेय डीआरडीओ, सशस्त्र बलों और रक्षा उद्योग के वैज्ञानिकों को देते हुए उन्हें बधाई दी।


कैसे की गई मिसाइल की ट्रैकिंग

मिसाइल परीक्षण के दौरान इसे कई आधुनिक रेंज ट्रैकिंग प्रणालियों से ट्रैक किया गया। यह सुनिश्चित किया गया कि मिसाइल ने अपने मार्ग और लक्ष्य पर सटीकता से प्रहार किया। परीक्षण के दौरान, डाउन रेंज शिप स्टेशनों से प्राप्त डेटा ने मिसाइल की उच्च सटीकता और अंतिम प्रभाव को प्रमाणित किया।


भारत की रक्षा क्षमता में बड़ा कदम

यह सफल परीक्षण भारत के रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता को और सशक्त करता है। हाइपरसोनिक मिसाइलें दुनिया की सबसे उन्नत रक्षा प्रणालियों में गिनी जाती हैं और भारत का इस क्षेत्र में कदम रखना उसकी वैश्विक शक्ति के उभरते स्वरूप को दर्शाता है।

यह मिसाइल न केवल भारत की सुरक्षा को मजबूत करेगी, बल्कि भविष्य में अन्य देशों के साथ सामरिक और रक्षा साझेदारी को भी बढ़ावा देगी।


हाइपरसोनिक मिसाइलों के वैश्विक परिदृश्य में भारत

भारत ने इस परीक्षण के साथ अमेरिका, रूस और चीन जैसे देशों की पंक्ति में अपना नाम दर्ज करवा लिया है, जो पहले से ही हाइपरसोनिक तकनीक में अग्रणी हैं। यह उपलब्धि भारत की वैज्ञानिक और तकनीकी प्रगति का उदाहरण है और यह दर्शाती है कि भारत उन्नत रक्षा प्रणालियों के विकास में कितना सक्षम हो गया है।


आगे का रास्ता

यह परीक्षण भविष्य में हाइपरसोनिक तकनीक को और अधिक विकसित करने की दिशा में पहला कदम है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस तकनीक को और बेहतर बनाने और इसका उपयोग सशस्त्र बलों में व्यापक रूप से करने की दिशा में अभी कई कदम उठाए जाएंगे।


DRDO Long Range Missile

भारत की पहली लंबी दूरी की हाइपरसोनिक मिसाइल का सफल परीक्षण देश के रक्षा प्रौद्योगिकी क्षेत्र में एक ऐतिहासिक मील का पत्थर है। यह न केवल भारत की सुरक्षा क्षमताओं को मजबूत करता है, बल्कि वैश्विक मंच पर उसकी शक्ति और आत्मनिर्भरता को भी दर्शाता है। इस सफलता ने साबित कर दिया है कि भारत तकनीकी और सामरिक मामलों में किसी से कम नहीं है।

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