अनुच्छेद 370 को निरस्त करना संवैधानिक था: सुप्रीम कोर्ट
नई दिल्ली, 11 दिसंबर 2023: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए कहा कि अनुच्छेद 370 को निरस्त करना संवैधानिक था। कोर्ट ने कहा कि अनुच्छेद 370 भारत के संविधान का एक संशोधन था और इसे संसद द्वारा निरस्त किया जा सकता है।
सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की बेंच ने फैसला सुनाया। बेंच का नेतृत्व न्यायमूर्ति एनवी रमना ने किया। अन्य जज न्यायमूर्ति यूयू ललित, न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति धनंजय वाई चंद्रचूड़ थे।
बेंच ने कहा कि अनुच्छेद 370 जम्मू और कश्मीर को विशेष दर्जा देता था। इसने राज्य को अपने कानून बनाने और अपने प्रशासन का प्रबंधन करने की स्वायत्तता दी थी। लेकिन कोर्ट ने कहा कि यह विशेष दर्जा संविधान के अनुच्छेद 13 के तहत असंवैधानिक था।
अनुच्छेद 13 संविधान का एक मौलिक प्रावधान है जो कहता है कि कोई भी कानून जो संविधान के अनुरूप नहीं है, अमान्य है। कोर्ट ने कहा कि अनुच्छेद 370 संविधान के अनुच्छेद 14 और 16 के खिलाफ था। ये दोनों अनुच्छेद समानता और अवसर की समानता के सिद्धांतों को प्रतिबिंबित करते हैं।
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का स्वागत किया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फैसले को ऐतिहासिक बताया है। उन्होंने ट्वीट किया, “सुप्रीम कोर्ट का फैसला ऐतिहासिक है। यह जम्मू और कश्मीर के लोगों के लिए एक नया युग का प्रतीक है। मैं सभी नागरिकों को इस फैसले पर शुभकामनाएं देता हूं।”
फैसले की आलोचना भी हुई है। कुछ लोगों ने कहा कि यह फैसला जम्मू और कश्मीर के लोगों के अधिकारों का हनन है।
पीएम मोदी का बयान:
मैं सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करता हूं। यह जम्मू और कश्मीर के लोगों के लिए एक नया युग का प्रतीक है। मैं सभी नागरिकों को इस फैसले पर शुभकामनाएं देता हूं।
अनुच्छेद 370 को निरस्त करने पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला: एक ऐतिहासिक निर्णय
अनुच्छेद 370 को समझने के मुख्य बिंदु
परिचय
भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने 11 दिसंबर, 2023 को अनुच्छेद 370 को निरस्त करने पर एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया। इस फैसले का जम्मू और कश्मीर क्षेत्र के साथ-साथ पूरे देश पर दूरगामी प्रभाव पड़ेगा। इस लेख में हम सुप्रीम कोर्ट के फैसले और उसके महत्व के बारे में विस्तार से जानेंगे।
पृष्ठभूमि
अनुच्छेद 370, भारतीय संविधान का एक प्रावधान, जम्मू और कश्मीर राज्य को विशेष स्वायत्त दर्जा प्रदान करता है। इसने राज्य को स्व-शासन की एक डिग्री प्रदान की, जिससे उसे रक्षा, विदेशी मामलों और संचार से संबंधित मामलों को छोड़कर, विभिन्न क्षेत्रों में अपना स्वयं का संविधान और अलग कानून रखने की अनुमति मिली।
हालाँकि, 5 अगस्त, 2019 को, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) के नेतृत्व वाली भारत सरकार ने, जम्मू और कश्मीर की विशेष स्थिति को प्रभावी ढंग से रद्द करते हुए, धारा 370 को निरस्त कर दिया। इस निर्णय ने व्यापक बहस और विवाद को जन्म दिया, कुछ लोगों ने इस कदम को एकीकरण और विकास की दिशा में एक कदम के रूप में समर्थन दिया, जबकि अन्य ने इसे जम्मू और कश्मीर के लोगों के अधिकारों के उल्लंघन के रूप में आलोचना की।
सुप्रीम कोर्ट का फैसला
अनुच्छेद 370 को निरस्त करने पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला सरकार के फैसले की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली कई याचिकाओं के बाद आया है। अदालत ने अपने फैसले में इसे निरस्त करने की संवैधानिक वैधता को बरकरार रखा और कहा कि भारत के राष्ट्रपति के पास संविधान के प्रावधानों के तहत अनुच्छेद 370 को संशोधित करने या रद्द करने की शक्ति है।
अदालत ने आगे इस बात पर जोर दिया कि अनुच्छेद 370 को हटाना एक राजनीतिक निर्णय था, जो कार्यपालिका के दायरे में आता था और इसके लिए राज्य सरकार या जम्मू-कश्मीर की विधान सभा की सहमति की आवश्यकता नहीं थी।
फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले का जम्मू-कश्मीर के लोगों के अधिकारों पर पड़ने वाले असर को भी ध्यान में रखा. अदालत ने कहा कि सरकार को क्षेत्र के निवासियों के मौलिक अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए और सरकार को सामान्य स्थिति बहाल करने और लोगों का कल्याण सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक कदम उठाने का निर्देश दिया।
फैसले का महत्व
अनुच्छेद 370 को निरस्त करने पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला कई कारणों से काफी महत्व रखता है।
- संवैधानिक वैधता
निरस्तीकरण की संवैधानिक वैधता को बरकरार रखते हुए, सुप्रीम कोर्ट ने मामले पर कानूनी स्पष्टता प्रदान की है। यह निर्णय भविष्य में इसी तरह के मामलों के लिए एक मिसाल कायम करता है और संवैधानिक प्रावधानों को संशोधित करने या रद्द करने के राष्ट्रपति के अधिकार की पुष्टि करता है। - एकीकरण और विकास
इस फैसले को जम्मू-कश्मीर के शेष भारत के साथ एकीकरण की दिशा में एक कदम के रूप में देखा जा रहा है। इससे क्षेत्र में केंद्र सरकार की योजनाओं और नीतियों के कार्यान्वयन को सुविधाजनक बनाने की उम्मीद है, जिससे इसके सामाजिक-आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा। - राष्ट्रीय सुरक्षा
अनुच्छेद 370 को हटाने को सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा के आधार पर उचित ठहराया था। सुप्रीम कोर्ट का फैसला सरकार के रुख को मजबूत करता है और राष्ट्रीय सुरक्षा के हित में निर्णय लेने के उसके अधिकार की पुष्टि करता है। - जम्मू-कश्मीर का भविष्य
यह फैसला जम्मू-कश्मीर के पुनर्गठन और पुनरुद्धार का मार्ग प्रशस्त करता है। यह बढ़े हुए निवेश, बुनियादी ढांचे के विकास और बेहतर प्रशासन के साथ क्षेत्र को प्रगति और समृद्धि देखने का अवसर प्रदान करता है।
निष्कर्ष
अनुच्छेद 370 को निरस्त करने पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला एक ऐतिहासिक फैसला है जो जम्मू-कश्मीर के भविष्य को आकार देगा। यह सरकार के फैसले की संवैधानिक वैधता को कायम रखता है और क्षेत्र के लोगों के अधिकारों की रक्षा करने की आवश्यकता पर जोर देता है। जैसे-जैसे राष्ट्र आगे बढ़ रहा है, क्षेत्र में एकीकरण और विकास को बढ़ावा देते हुए जम्मू-कश्मीर के निवासियों का कल्याण सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है।