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आम मत | नई दिल्ली
पितृ दोष और पितृ ऋण से पीड़ित कुंडली शापित कुंडली कही जाती है। ऐसा व्यक्ति मातृपक्ष अर्थात माता के अतिरिक्त मामा-मामी मौसा-मौसी, नाना-नानी और पितृपक्ष अर्थात दादा-दादी, चाचा-चाची, ताऊ-ताई आदि को कष्ट और दुख देता है और उनकी अवहेलना व तिरस्कार करता है। ज्योतिषानुसार पितृदोष के कारण सभी तरह के मांगलिक कार्य रुक जाते हैं। किसी भी कार्य में सफलता नहीं मिलती है और कई बार तो मृत्यु तुल्य कष्ट होता है। यहां प्रस्तुत है पितृदोष से मुक्ति के अचूक 5 उपाय।
पितृदोष से मुक्ति के उपाय
- परिवार के सभी सदस्यों से बराबर मात्रा में सिक्के इकट्ठे करके उन्हें मंदिर में दान करें। ऐसा आप 5 गुरुवार को करें। मतलब यह कि यदि आप अपनी जेब से 10 का सिक्का ले रहे हैं तो घर के अन्य सभी सदस्यों से भी 10-10 के सिक्के एकत्रित करने उसे मंदिर में दान कर दें। यदि आपके दादाजी हैं तो उनके साथ जाकर दान करें।
- कर्पूर जलाने से देवदोष व पितृदोष का शमन होता है। प्रतिदिन सुबह और शाम घर में संध्यावंदन के समय कर्पूर जरूर जलाएं। कर्पूर को घी में डूबोकर फिर जलाएं और कभी कभी गुढ़ के साथ मिलाकर भी जलाएं।
- कौए, चिढ़िया, कुत्ते और गाय को रोटी खिलाते रहना चाहिए। उक्त चारों में से जो भी समय पर मिल जाए उसे रोटी खिलाते रहें।
- पीपल या बरगद के वृक्ष में जल चढ़ाते रहना चाहिए। केसर का तिलक लगाते रहना चाहिए। विष्णु भगवान के मंत्र जाप, श्रीमद्भागवत गीता का पाठ करने से पितृदोष चला जाता है। एकादशी के व्रत रखना चाहिए कठोरता के साथ।
- दक्षिणमुखी मकान में कदापी नहीं रहना चाहिए। यदि दक्षिणमुखी, नैऋत्य कोण या आग्नेय कोण में मकान है तो मकान के सामने दरवाजे से दोगुनी दूरी पर नीम का पेड़ लगाकर उसकी सेवा करें।