नई दिल्ली, 29 अप्रैल 2025 (SC Verdict on Supertech) — रियल एस्टेट सेक्टर में धोखाधड़ी और वित्तीय अनियमितताओं पर सख्त रुख अपनाते हुए सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सुपरटेक लिमिटेड और अन्य बिल्डरों के खिलाफ गंभीर आदेश जारी किए हैं। कोर्ट ने CBI (Central Bureau of Investigation) को निर्देश दिया है कि वह होमबायर्स के साथ की गई कथित धोखाधड़ी और builder-bank nexus की सात अलग-अलग प्रारंभिक जांचें (preliminary enquiries) दर्ज करे।

🔎 क्या है मामला?
हजारों होमबायर्स ने आरोप लगाया कि NCR क्षेत्र में सुपरटेक और अन्य रियल एस्टेट कंपनियों ने subvention scheme के तहत निवेशकों से पैसे तो लिए, लेकिन प्रोजेक्ट्स में वर्षों की देरी हुई।
Supreme Court ने माना कि इन मामलों में राज्य पुलिस की भूमिका सीमित हो सकती है और इसलिए स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच एजेंसी CBI को यह जिम्मेदारी दी गई है।

🏗️ सुपरटेक और अन्य बिल्डरों पर लगे हैं ये आरोप:
- प्रोजेक्ट डिलीवरी में वर्षों की देरी (project delivery delay)
- खरीदारों से झूठे वादे (false promises)
- निवेशकों के पैसों का दुरुपयोग और fund diversion
- बैंक लोन के लिए subvention scheme का दुरुपयोग
💼 बैंकों की भूमिका भी होगी जांच के दायरे में
सुपरटेक को विभिन्न हाउसिंग प्रोजेक्ट्स के लिए ₹5,000 करोड़ से अधिक का लोन प्रदान करने वाले बैंकों की भूमिका भी जांच के अंतर्गत आएगी। कोर्ट ने बिल्डर-बैंक गठजोड़ को एक गंभीर मामला मानते हुए CBI को इस दिशा में जांच के आदेश दिए हैं।
👥 CBI गठित करेगी SIT, राज्यों की मदद से
CBI इन सात मामलों की जांच के लिए एक विशेष जांच दल (SIT) बनाएगी, जिसमें उत्तर प्रदेश और हरियाणा पुलिस के अधिकारी शामिल होंगे। इसका कारण है कि अधिकतर संदिग्ध प्रोजेक्ट्स NCR (National Capital Region) में स्थित हैं।
🏛️ सरकारी प्राधिकरण भी जांच के घेरे में
निम्नलिखित पांच सरकारी प्राधिकरणों की भूमिका की भी जांच होगी:
- नोएडा प्राधिकरण
- ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण
- यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (YEIDA)
- गाजियाबाद विकास प्राधिकरण (GDA)
- गुरुग्राम प्राधिकरण
👨👩👧👦 होमबायर्स बोले: अब न्याय की उम्मीद
NCR में वर्षों से रुके प्रोजेक्ट्स में फंसे हजारों होमबायर्स ने इस फैसले को “न्याय की दिशा में पहला ठोस कदम” बताया है।
संदीप अग्रवाल, जो नोएडा के सेक्टर 78 में एक अधूरे प्रोजेक्ट के खरीदार हैं, ने कहा:
“हम कई सालों से परेशान हैं। कोर्ट का यह फैसला हमारे लिए उम्मीद की किरण है।”
📈 विशेषज्ञ बोले: रियल एस्टेट सेक्टर के लिए चेतावनी
रियल एस्टेट विशेषज्ञ सुरेश मेहता ने कहा:
“यह निर्णय पूरे सेक्टर के लिए एक wake-up call है। अब समय आ गया है कि बिल्डर्स compliance और accountability को गंभीरता से लें।”
⏳ लंबी हो सकती है जांच प्रक्रिया, लेकिन दिशा सही
विशेषज्ञों ने यह भी कहा कि CBI की जांच प्रक्रिया लंबी हो सकती है, लेकिन अगर सही तरीके से की गई तो यह real estate reforms in India की नींव रख सकती है।
🏛️ सुप्रीम कोर्ट ने दिए ये निर्देश:
- CBI एक महीने के भीतर अंतरिम रिपोर्ट कोर्ट में दाखिल करे।
- जांच की मासिक निगरानी (monthly review) की जाएगी।
- सभी सात मामलों की प्रारंभिक जांच (preliminary enquiry) अलग-अलग होगी।
📢 RERA और सरकार से सख्त नियमों की मांग
होमबायर्स संगठनों ने केंद्र सरकार और RERA (Real Estate Regulatory Authority) से अपील की है कि वे इस मामले में सहयोग करें और भविष्य में इस तरह के घोटालों को रोकने के लिए strict compliance mechanism लागू करें।
📝SC Verdict on Supertech Scam: क्या यह फैसला रियल एस्टेट सेक्टर में भरोसे की वापसी लाएगा?
सुप्रीम कोर्ट का यह ऐतिहासिक निर्णय केवल सुपरटेक तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि यह पूरे रियल एस्टेट सेक्टर के लिए एक नई दिशा तय करेगा — जहां पारदर्शिता, जवाबदेही और उपभोक्ता अधिकारों को प्राथमिकता दी जाएगी।
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