सदी के महानतम फुटबॉलर पेले का 82 वर्ष की उम्र में निधन, कैंसर से थे पीड़ित
सदी के महानतम फुटबॉलर और ब्लैक पर्ल (Black Pearl) के नाम से मशहूर पेले (Greatest Football Player Pelé) का गुरुवार देर रात निधन हो गया। 82 साल के पेले लंबे समय से मलाशय के कैंसर से पीड़ित थे। वे साओ पाउलो के एक अस्पताल में भर्ती थे। उनके निधन से दुनियाभर के फुटबॉल प्रेमियों में शोक की लहर व्याप्त है। महज एक घंटे में उनके निधन पर ट्वीट की बाढ़ आ गई थी। एक घंटे में दो लाख से ज्यादा लोगों ने ट्वीट कर उन्हें श्रद्धांजलि दी। ब्राजील के बेहतरीन प्लेयर नेमार जूनियर ने उनके निधन पर लिखा ‘पेले से पहले 10 सिर्फ एक नंबर था, उन्होंने उसे कला बनाया।’
विश्व के महानतम खिलाड़ी पेले (Pelé) का करिश्मा कुछ ऐसा था कि जिसकी बराबरी आज तक कोई भी फुटबॉल खिलाड़ी नहीं कर पाया। पांच बार विश्व कप जीतने वाली ब्राजील तीन बार 1958, 1962 और 1970 में पेले ने बनाया था। शहर मिनास गेराइस में 23 अक्तूबर 1940 को पेले ने अपने जन्म के साथ गांव में खुशियां लाईं थीं। क्योंकि उसी दिन उनके शहर में बिजली का बल्ब आया था। इसलिए पेले का नाम एडिसन रखा गया।
अपने नाम की कहानें पेले ने अपने संस्मरण ‘व्हाई सॉकर मैटर्स’ में बताई थी। उन्होंने लिखा था,
मेरे जन्म से पहले हमारे शहर में बिजली नहीं थी। जिस दिन मेरा जन्म हुआ था उसी दिन शहर में बिजली का बल्ब पहुंचा था। बल्ब की रोशनी को देखकर मेरे माता-पिता काफी खुश थे।
उन्होंने इस बल्ब के अविष्कारक थामस एल्वा एडसन के नाम पर मेरा नाम एडसन रख दिया, लेकिन गलती से वह स्पेलिंग उनके नाम की नहीं रख पाए।”
Pelé Full Name: एडसन बन गया डिको
पेले ( Pelé) का पूरा नाम एडसन एरेंटस डो नासिमेंटो (Edson Arantes do Nascimento) था। ब्राजील में अमूमन हर इंसान के एक-दो निकनेम जरूर होते हैं, जिससे उनके घरवाले उन्हें बुलाते हैं। एडसन का निकनेम ‘डिको’ रखा गया।
पिता क्लब स्तर पर फुटबाल नहीं खेलते थे, वह फुटबॉल में अपना करियर नहीं बना पाए। उन्होंने ‘डिको’ को फुटबॉलर बनाने का सपना देखा। परिवार मिनास गेराइस से साओ पाउलो के बाउरू शहर में आ गया। बचपन में ट्रेनिंग के दौरान ही पेले ने सबको अपना दीवाना बना लिया। उनकी चर्चा चारों तरफ होने लगी थी। पेले कभी फटे-पुराने कपड़ों से गेंद बनाकर खेलते थे तो कभी मालगाड़ी से समान चुराकर गेंद खरीदते थे।
डिको को नया नाम मिला- गैसोलिना
पेले ( Pelé) कम उम्र में ही अपने साथियों को छकाने लगे। उन्हें कोई मैदान में पकड़ नहीं पाता था। इस कारण उनका नाम ‘गैसोलिना’ बन गया। उस दौर में ब्राजील में पुर्तगाली भाषा का चलन था और उसमें पेले शब्द का कोई मतलब नहीं निकलता था,लेकिन बावजूद इसके जब 15 साल की उम्र में ब्राजील के मशहूर क्लब सैटोंस से पेले जुड़े तो उनका नाम पेले पड़ चुका था।
Pele The King of Football / Soccer
कैसे नाम पड़ा पेले ( Pelé) ?
पेले ( Pelé) नाम रखने जाने के सच के बारे में पेले ने ‘व्हाई सॉकर मैटर्स’ में बताया है, कोई ठीक-ठीक नहीं बता पाता है कि पेले नाम कहां से आया, लेकिन मेरे मामा जॉर्ज ने जो बताया है, उस पर विश्वास किया जा सकता है। पेले के मामा जॉर्ज, उनके साथ ही रहते थे और कई साल तक उनकी नौकरी के चलते ही पेले के परिवार का भरन-पोषण होता रहा।
जॉर्ज के मुताबिक़, बाउरू की स्थानीय फुटबॉल क्लब टीम के एक गोलकीपर का नाम था बिले, ये वही क्लब था जिसमें पेले के पिता भी खेलते थे। बिले अपनी शानदार गोलकीपिंग के चलते बेहद लोकप्रिय थे। ‘दूसरी ओर बचपन में डिको को कई मुकाबलों में गोलकीपर की भूमिका भी निभानी होती थी, जब वे शानदार बचाव करते थे, तो लोग कहने लगे थे कि ये दूसरा बिले है, या देखो ये खुद को बिले मानने लगा है। देखते-देखते ये बिले कब पेले में बदल गया है, इसका किसी को अंदाजा भी नहीं हुआ। हालांकि ये वो दौर था जब डिको, साथियों से भिड़ जाया करते थे कि किसने मुझे पेले बुलाया, क्यों बुलाया, मेरा नाम तो ठीक से लो।’
1960 के दशक में पेले (Pelé) की सैंटोस एफ़सी दुनिया के सबसे मशहूर फ़ुटबॉल क्लबों में से एक थी. इसका फ़ायदा उठाकर ये टीम दुनियाभर में कई फ़्रेंडली मैच खेला करती थी. ऐसा ही एक मैच नाईजीरिया के युद्धग्रस्त क्षेत्र में 4 फ़रवरी 1969 को खेला गया था. इस मैच में सैंटोस क्लब ने बेनिनि सिटी के एक स्थानीय क्लब को 2-1 से मात दी थी.
उस वक्त नाईजीरिया में एक ख़ूनी गृहयुद्ध चल रहा था. इतिहासकार ग्यूहरमें गॉरचे के मुताबिक़ ब्राज़ील के खिलाड़ी और अधिकारी सुरक्षा को लेकर चिंतित थे, इसलिए दोनों पक्षों ने युद्धविराम का फ़ैसला किया.
1966 विश्व कप (World Cup 1966)
1966 विश्व कप अन्य बातों के साथ, बल्गेरियन और पुर्तगाली रक्षकों द्वारा पेले पर किये गए खूंखार हमले के लिये याद किया जाता है। केवल तीन मैच खेल कर, ब्राज़ील प्रथम राउंड में बाहर हो गया। पेले ने बल्गेरिया के विरूद्ध पहला गोल एक ‘फ्री किक’ के जरिये किया, लेकिन बल्गेरियन खिलाड़ियों द्वारा सतत हमले के कारण आई एक चोट के कारण वह हंगरी के विरूद्ध दूसरे खेल में भाग न ले सके. ब्राज़ील वह खेल हार गया और हालांकि पूरी तरह से स्वस्थ न होने पर भी पेले को वापस पुर्तगाल के विरूद्ध अंतिम महत्वपूर्ण मैच के लिये बुला लिया गया।[41] उस खेल में जोआओ मोरेस ने पेले को बुरी तरह से घायल कर दिया, लेकिन फिर भी रेफरी जार्ज मैक्काबे द्वारा उन्हें मैदान में रहने दिया गया। को मैच के शेष भाग में लंगड़ते हुए रहना पड़ा क्यौंकि उन दिनों स्थानापन्न खिलाड़ियों को लाने की अनुमति नहीं थी। उस खेल के बाद उन्होंने कसम खाई कि वे दोबारा विश्व कप में नहीं खेलेंगे, एक ऐसा निश्चय जो उन्हें आगे चल कर बदलना पड़ा.[42]
1970 विश्व कप (World Cup 1970)
पेले को राष्ट्रीय टीम में 1969 के शुरू में बुलाया गया तो, पहले तो उन्होंने इनकार कर दिया, लेकिन बाद में हामी भर दी और विश्व कप के छह प्रवेश मैचों में खेले और छह गोल बनाए. मेक्सिको में हुआ 1970 विश्व कप पेले का आखरी विश्व कप था। टूर्नामेंट के लिये गठित ब्राज़ील के दल में 1966 के दल की तुलना में कई बड़े परिवर्तन किये गए थे।