इजराइल और हिजबुल्लाह के बीच 14 महीने से चल रहे संघर्ष को आखिरकार मिला अंत
नई दिल्ली, 27 नवंबर 2024 – Israel and Hezbollah Ceasefire: इजराइल और हिजबुल्लाह के बीच चल रहे 14 महीने के संघर्ष को समाप्त करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है। दोनों देशों ने लेबनान में एक सीजफायर (युद्धविराम) समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं, जो मध्य पूर्व में शांति और स्थिरता की दिशा में एक बड़ा कदम है। इस समझौते पर इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू और उनकी वॉर कैबिनेट ने मुहर लगाई है, और यह समझौता हिजबुल्लाह द्वारा इजरायल पर हमला करने के बाद हुए संघर्ष के समापन की दिशा में एक ऐतिहासिक मोड़ साबित हो सकता है।
इजराइल और हिजबुल्लाह के बीच जंग खत्म: युद्धविराम पर बनी सहमति
Israel and Lebanon Ceasefire: इस समझौते के बाद, दक्षिणी लेबनान में विस्थापित नागरिकों को अपने घर लौटने का अवसर मिला है। साथ ही, इस समझौते के तहत इजरायल और हिजबुल्लाह दोनों को सीमित युद्धविराम के लिए अपने-अपने सैनिकों की तैनाती को पुनः व्यवस्थित करना होगा। इस युद्धविराम को लेकर अंतरराष्ट्रीय समुदाय भी इस समझौते का स्वागत कर रहा है, जिससे क्षेत्रीय स्थिरता की उम्मीद जगी है।
इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू का संबोधन: “हमने हिजबुल्लाह को दशकों पीछे धकेल दिया”
इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने तेल अवीव में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान इस महत्वपूर्ण समझौते की घोषणा की। उन्होंने कहा,
“हमने मध्य पूर्व की तस्वीर को बदल दिया है। एक अच्छा समझौता वह होता है, जिसे लागू किया जा सके। यह युद्धविराम मुख्य रूप से हमास को अलग-थलग करने और बंधकों की वापसी को सुनिश्चित करने के उद्देश्य से किया गया है। कुछ महीने पहले, यह कल्पनाशील लगता था, लेकिन अब हम इसे वास्तविकता बना चुके हैं।”
नेतन्याहू ने इस अवसर पर इजरायल द्वारा हिजबुल्लाह के शीर्ष नेताओं पर किए गए सैन्य ऑपरेशन का जिक्र करते हुए कहा कि इन ऑपरेशनों ने हिजबुल्लाह को बहुत पीछे धकेल दिया है, जिससे युद्धविराम की संभावना मजबूत हुई।
सीजफायर डील: 60 दिनों का युद्धविराम
इजरायल और हिजबुल्लाह के बीच 60 दिन के युद्धविराम पर सहमति बनी है। इस युद्धविराम के मुख्य बिंदु निम्नलिखित हैं:
- लेबनान की सेना को दक्षिणी सीमा पर तैनात किया जाएगा।
- हिजबुल्लाह को दक्षिणी सीमा से पीछे हटने के आदेश दिए जाएंगे।
- इजरायल चरणबद्ध तरीके से अपनी सेना को लेबनान से बाहर निकालेगा।
- युद्धविराम के उल्लंघन की स्थिति में इजरायल ने कड़ी कार्रवाई की चेतावनी दी है।
यह समझौता अमेरिका और फ्रांस के समर्थन से संपन्न हुआ है, जो इसे सीमापार संघर्ष को समाप्त करने की दिशा में एक बड़ी पहल मानते हैं।
भारत ने किया युद्धविराम का स्वागत
भारत ने इजराइल और लेबनान के बीच हुए युद्धविराम का स्वागत किया है। भारतीय विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा कि भारत हमेशा तनाव कम करने, संयम बरतने, और कूटनीति का रास्ता अपनाने का आह्वान करता रहा है। मंत्रालय ने इस समझौते के बाद उम्मीद जताई कि इससे क्षेत्रीय शांति और स्थिरता आएगी।
“भारत इस युद्धविराम का स्वागत करता है और उम्मीद करता है कि इन घटनाक्रमों से व्यापक क्षेत्र में शांति और स्थिरता आएगी,” विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में कहा।
सीजफायर के लागू होने के बाद स्थिति
Israel and Lebanon War: सीजफायर लागू होने के बाद दक्षिणी लेबनान में सामान्य स्थिति लौटने लगी है। विस्थापित नागरिक धीरे-धीरे अपने घरों की ओर लौटने लगे हैं, और सिडोन जैसे शहरों में यातायात में बढ़ोतरी देखी जा रही है। यह युद्धविराम न केवल इजरायल और लेबनान के नागरिकों के लिए राहत लेकर आया है, बल्कि यह मध्य पूर्व में शांति की नई संभावनाओं की ओर इशारा करता है।
अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की प्रतिक्रिया
यह युद्धविराम पूरी दुनिया में चर्चा का विषय बन गया है। प्रमुख वैश्विक नेता इस समझौते का स्वागत कर रहे हैं:
- अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने इसे मध्य पूर्व में शांति की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया।
- फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने भी इसे मध्य पूर्व में स्थिरता का पहला कदम कहा।
- संयुक्त राष्ट्र ने भी इस युद्धविराम को सकारात्मक कदम के रूप में देखा है, जो क्षेत्रीय संघर्षों को समाप्त करने के लिए सहमति का संकेत है।
सीजफायर के बाद संभावित चुनौतियाँ
हालांकि, यह सीजफायर एक सकारात्मक कदम है, लेकिन इसके कार्यान्वयन में कई चुनौतियाँ हो सकती हैं। इजरायल और हिजबुल्लाह दोनों के बीच अविश्वास की लंबी दास्तान रही है, और यह समझौता कितने समय तक टिकेगा, यह देखने वाली बात होगी।
कुछ प्रमुख चुनौतियाँ हैं:
- सीमा पर निगरानी: दोनों पक्षों के सैनिकों की सीमाओं पर तैनाती और युद्धविराम का उल्लंघन रोकने के लिए अंतरराष्ट्रीय निगरानी की आवश्यकता होगी।
- स्थायी शांति: युद्धविराम के बाद, यह सुनिश्चित करना कि दीर्घकालिक शांति बनी रहे, एक बड़ी चुनौती होगी।
इसके बावजूद, यदि दोनों पक्ष अपनी प्रतिबद्धताओं को निभाते हैं, तो यह समझौता स्थायी शांति की ओर पहला कदम साबित हो सकता है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न – FAQs
क्या यह युद्धविराम स्थायी रहेगा?
यह युद्धविराम 60 दिनों के लिए लागू होगा। स्थायित्व इस बात पर निर्भर करेगा कि दोनों पक्ष इसे कितना ईमानदारी से लागू करते हैं।
सीजफायर समझौते में क्या शर्तें हैं?
लेबनान की सेना को दक्षिणी सीमा पर तैनात किया जाएगा, हिजबुल्लाह को पीछे हटना होगा, और इजरायल अपनी सेना को धीरे-धीरे वापस लेगा।
भारत का इस समझौते पर क्या रुख है?
भारत ने इस युद्धविराम का स्वागत किया और इसे क्षेत्रीय शांति की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया।
सीजफायर का उल्लंघन होने पर क्या होगा?
इजरायल ने युद्धविराम का उल्लंघन होने पर कड़ी प्रतिक्रिया देने की चेतावनी दी है।
सीजफायर से किसे फायदा होगा?
सीजफायर से सबसे अधिक फायदा विस्थापित नागरिकों को होगा, जो अब अपने घर लौट सकेंगे और सामान्य जीवन की ओर कदम बढ़ा सकेंगे।
निष्कर्ष: क्या यह शांति का स्थायी रास्ता होगा?
इजराइल और हिजबुल्लाह के बीच इस युद्धविराम से मध्य पूर्व में स्थिरता और शांति की नई राह खुलने की उम्मीद है। यह समझौता केवल दो देशों के बीच ही नहीं, बल्कि पूरे क्षेत्र के लिए एक संकेत हो सकता है कि सैन्य संघर्षों से बाहर निकलकर कूटनीति और संवाद से समस्याओं का समाधान किया जा सकता है।
हालांकि दीर्घकालिक शांति के लिए दोनों पक्षों को समझौते की शर्तों का ईमानदारी से पालन करना होगा, लेकिन यह सीजफायर मध्य पूर्व में शांति और सहयोग की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। अंतरराष्ट्रीय समर्थन, विशेषकर अमेरिका, फ्रांस, और भारत के द्वारा इसे मिले समर्थन से इस प्रक्रिया को गति मिल सकती है।
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