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सरकार ने मानी किसानों की 2 मांगें: अब पराली जलाना नहीं अपराध, बिजली बिल लिया जाएगा वापस

आम मत | नई दिल्ली

कृषि कानूनों पर सातवीं बार किसान संगठनों और केंद्र सरकार के बीच वार्ता हुई। हालांकि, इस वार्ता को पूरी तरह सफल नहीं कहा जा सकता, क्योंकि किसानों की 4 मांगें पूरी नहीं हुई हैं। वहीं, इस वार्ता को असफल भी नहीं कहा जा सकता, क्योंकि 2 मांगों पर सहमति बन गई है। 4 जनवरी को अगले दौर की बैठक में अन्य दोनों मुद्दों पर भी सहमति बनने की आशा है।

किसानों के 4 बड़े मुद्दे हैं। पहला- सरकार तीनों कृषि कानूनों को वापस ले। दूसरा- सरकार यह लीगल गारंटी दे कि वह न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी जारी रखेगी। तीसरा- बिजली बिल वापस लिया जाएगा। चौथा- पराली जलाने पर सजा का प्रावधान वापस लिया जाए। इनमें से तीसरी और चौथी मांग मान ली गई है।

कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि किसानों ने चार प्रस्ताव रखे थे, जिसमें दो पर सहमति बन गई है। एमएसपी पर कानून को लेकर चर्चा जारी है। एमएसपी जारी रहेगी, हम लिखित आश्वसन देने के लिए तैयार हैं। कृषि मंत्री ने कहा कि किसानों के लिए सम्मान और संवेदना है। आशा है कि किसान और सरकार में सहमति बनेगी।

कृषि मंत्री ने कड़ाके की ठंड में आंदोलन कर रहे बुजुर्गों, बच्चों और महिलाओं के बारे में कहा कि वे आंदोलनकारियों से अनुरोध करते हैं कि बुजुर्गों, बच्चों और महिलाओं को घर भेज दें। उन्होंने कहा, ‘दिल्ली में सर्द मौसम को देखते हुए मैंने किसान नेताओं से बुजुर्गों, महिलाओं और बच्चों को घर भेजने का अनुरोध किया है।

शाह ने 3 मंत्रियों के साथ 2 घंटे बैठक कर स्ट्रैटजी बनाई

संयुक्त किसान मोर्चा ने बातचीत के लिए राजी होने का ईमेल मंगलवार को सरकार को भेजा। इसके बाद गृह मंत्री अमित शाह, कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर, रेल मंत्री पीयूष गोयल और उद्योग राज्य मंत्री सोम प्रकाश ने मीटिंग कर स्ट्रैटजी बनाई। कृषि मंत्री ने शाह को बताया कि सरकार ने किसानों को क्या-क्या प्रपोजल भेजे हैं और किसानों का क्या एजेंडा है। 2 घंटे चली बैठक में चर्चा हुई कि दोनों पक्षों के एजेंडे में जो अंतर हैं, उन्हें कैसे कम किया जाए।

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