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लोकसभा में हाथ जोड़कर बोले राजनाथ- लोकतंत्र की परंपराओं को कायम रखना सबकी जिम्मेदारी

आम मत | नई दिल्ली

संसद में लोकसभा की कार्यवाही सोमवार देर रात तक चली। इसके साथ ही, नए कृषि कानूनों के मुद्दे पर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच हफ्तेभर से जारी गतिरोध भी टूट गया। यह सब रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अपील के बाद हुआ। राजनाथ ने लोकतांत्रिक परंपराओं का हवाला देकर विपक्ष से चर्चा में शामिल होने की अपील की थी। रक्षा मंत्री ने हाथ जोड़कर कहा, ‘लोकतंत्र की परंपराओं को कायम रखना सबकी जिम्मेदारी है। स्वस्थ लोकतंत्र के लिए चर्चा की परंपरा को मत तोड़िए।’

राजनाथ की इस अपील ने काम किया और लोकसभा की कार्यवाही दोबारा शुरू हो गई। इधर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर जवाब दिया। प्रधानमंत्री किसान आंदोलन, बंगाल और कृषि कानून पर बात रखी। किसानों से आंदोलन खत्म करने की अपील की। कानूनों में बदलाव का रास्ता भी सुझाया। वहीं, विपक्ष के हमले को लेकर कहा कि गालियां मेरे खाते में जाने दो। अच्छा आपके खाते में, बुरा मेरे खाते में। आओ, मिलकर अच्छा करें।

राज्यसभा में बोले पीएम- MSP था, है और रहेगा

प्रधानमंत्री ने भाषण में कहा कि आंदोलन में बूढ़े लोग भी बैठे हैं, इसे खत्म करें। आइए, मिलकर चर्चा करते हैं। ये समय खेती को खुशहाल बनाने का है, जिसे गंवाना नहीं है। पक्ष-विपक्ष हो, इन सुधारों को हमें मौका देना चाहिए। ये भी देखना होगा कि इनसे ये लाभ होता है या नहीं। मंडियां ज्यादा आधुनिक हों। MSP था, है और रहेगा। सदन की पवित्रता को समझें।

जिन 80 करोड़ लोगों को सस्ते में राशन मिलता है, वो जारी रहेगा। आबादी बढ़ रही है, जमीन के टुकड़े छोटे हो रहे हैं, हमें कुछ ऐसा करना होगा कि किसानी पर बोझ कम हों और किसान परिवार के लिए रोजगार के अवसर बढ़ें। हम अपने ही राजनीतिक समीकरणों के फंसे रहेंगे तो कुछ नहीं हो पाएगा।

हमारा लोकतंत्र सबसे पुराना, खुद को न कोसें

प्राचीन भारत में 181 गणतंत्रों का वर्णन है। भारत का राष्ट्रवाद न संकीर्ण, न स्वार्थी और न ही आक्रामक है। यह सत्यम, शिवम, सुंदरम से प्रेरित है। ऐसा सुभाष चंद्र बोस ने कहा है। जाने-अनजाने में हमने नेताजी के विचारों, आदर्शों को भुला दिया है। हम खुद को कोसने लगते हैं। दुनिया हमें जो शब्द दे देती है, उसे पकड़कर चलने लगते हैं।

हमने युवा पीढ़ी को सिखाया ही नहीं कि यह देश लोकतंत्र की जननी है। ये बात हमें गर्व से बोलनी होगी। इमरजेंसी को याद कीजिए कि उस समय क्या हाल था। हर संस्था जेल बन चुकी थी। पर संस्कारों की ताकत थी, लोकतंत्र कायम रह सका।

देश का मनोबल तोड़ने वाली बातों में न उलझें

सोशल मीडिया में देखा होगा कि फुटपाथ पर बैठी बूढ़ी मां दीया जलाकर बैठी थी। हम उसका मखौल उड़ा रहे हैं। जिसने स्कूल का दरवाजा नहीं देखा, पर उन्होंने देश में सामूहिक शक्ति का परिचय करवाया, पर इन सबका मजाक उड़ाया गया। विरोध करने के लिए कितने मुद्दे होते हैं, देश के मनोबल तोड़ने वाली बातों में न उलझें। हमारे कोरोना वॉरियर्स ने कठिन समय में जिम्मेदारी निभाई, उनका आदर करना चाहिए।

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