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छावा फिल्म रिव्यू: औरंगजेब की नफरत और संभाजी महाराज के स्वराज की लड़ाई

परिचय: छावा फिल्म

Chava Film Review: स्वराज की नींव रखने वाले और मराठा साम्राज्य के पहले और सबसे ताकतवर छत्रपति शिवाजी भोंसले ने मुगल बादशाह औरंगजेब के खिलाफ पूरी जिंदगी संघर्ष किया। यही सीख उन्होंने अपने पुत्र संभाजी महाराज को भी दी। पिता से मिली इसी विरासत को आगे बढ़ाने वाले संभाजी की कहानी को लक्ष्मण रामचंद्र उत्तेकर के निर्देशन में बनी फिल्म ‘छावा फिल्म’ में भव्य तरीके से प्रस्तुत किया गया है।

पिता शिवाजी ने अपनी माता जीजाबाई से हिंदू साम्राज्य बनाने और मातृभूमि के लिए कुछ कर गुजरने की सीख पाई थी। उन्हीं छत्रपति के बेटे संभाजी को भी अपने पिता से विरासत में पौरुष और साहस कूट-कूट कर मिला था। शिवाजी एक ऐसे योद्धा थे, जिनकी मृत्यु पर उनके सबसे बड़े दुश्मन औरंगजेब ने भी कह दिया था कि अब फिर कहां ऐसा दुश्मन मिलेगा (जैसा कि फिल्म में दिखाया गया)। वह भगवान से स्वर्ग के दरवाजे खुले रखने के लिए दुआ भी मांगता है।

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कहानी और पटकथा

फिल्म की शुरुआत होती है शिवाजी महाराज के निधन के बाद के उथल-पुथल भरे दौर से, जब मराठा साम्राज्य के उत्तराधिकारी संभाजी महाराज (विक्की कौशल) को न सिर्फ अपने साम्राज्य को संभालना है, बल्कि मुगलों की लगातार बढ़ती चुनौतियों का सामना भी करना है।

संभाजी रायगढ़ में अपने राज्याभिषेक के बाद स्वराज को बचाने और मुगलों के खिलाफ संघर्ष करने के लिए युद्ध का ऐलान करते हैं। वहीं, दूसरी ओर औरंगजेब (अक्षय खन्ना) अपनी चालों से मराठा साम्राज्य को मिटाने की साजिशें रचता है। फिल्म में संभाजी की वीरता और औरंगजेब की क्रूरता का टकराव जबरदस्त तरीके से प्रस्तुत किया गया है।

स्वराज की नींव रखने वाले और मराठा साम्राज्य के पहले और सबसे ज्यादा ताकतवर छत्रपति शिवाजी भोंसले, जिन्होंने औरंगजेब जैसे मुगल बादशाह की नाक में अपनी पूरी जिंदगी दम करके रखा और वही सीख अपने बेटे संभाजी ‘शंभू’ को भी दी।

मडोक फिल्म्स के बैनर तले बनी और लक्ष्मण रामचंद्र उत्तेकर निर्देशित फिल्म छावा में यहीं से एंट्री होती है औरंगजेब बने अक्षय खन्ना की। इसके बाद बुरहानपुर, जिसे मुगल साम्राज्य के सबसे बेहतरीन शहरों में से एक गिना जाता था। वहां अटैक करता है शिवाजी जैसे शेर का छावा यानी संभाजी।

युद्ध के इस सिक्वेंस में एंट्री होती है फिल्म के नायक विक्की कौशल की। लंबी कद-काठी के विक्की जिस अंदाज में घोड़े पर बैठकर तलवारबाजी के स्टंट करते दिखाई देते हैं। वह तकरीबन ऑरिजनल ही प्रतीत हो रहे थे। उनके साथ सामंतों के रूप में आशुतोष राणा, प्रदीप रावत जैसे कलाकार भी कंधे से कंधा मिलाते दिखाई दिए। एक ओर, संभाजी पिता शिवाजी के स्वराज की आग की मशाल को थामे हुए थे।

वहीं, रायगढ़ में उनकी सौतेली मां सौयराबाई अपने बेटे राजाराम को छत्रपति बनाने का सपना अपने चहेते सामंतों के साथ मिलकर देख रही थी। ये सभी संभा के खिलाफ षड्यंत्र बुन रहे थे। बुरहानपुर जीतने के बाद संभाजी रायगढ़ पहुंचते हैं, जहां उनका राजतिलक होता है और वे अपने पिता शिवाजी की जगह मराठा साम्राज्य के छत्रपति बनते हैं।

इसी कड़ी में उनकी पत्नी येसुबाई के भाई अपने क्षेत्र का पूर्णाधिकार मांगते हैं। इस पर येसुबाई उन्हें सबके सामने फटकार देती है और संभाजी भी अपने दोनों सालों को ऐसा कुछ देने से मना कर देते हैं। औरंगजेब पिछले कई सालों से संभा को ढंूढता हुआ आगरा से महाराष्ट्र की ओर आ रहा है। वहीं, संभाजी से कुछ सामंत नाखुश भी हैं।

अभिनय और किरदार

  • विक्की कौशल ने संभाजी महाराज के किरदार में शानदार अभिनय किया है। उनकी संवाद अदायगी और एक्शन दृश्य काफी प्रभावशाली हैं।
  • अक्षय खन्ना ने औरंगजेब के क्रूर और चालाक शासक के रूप में बेहतरीन परफॉर्मेंस दी है।
  • रश्मिका मंदाना, आशुतोष राणा, और प्रदीप रावत जैसे कलाकार भी अपने किरदारों में प्रभाव छोड़ने में सफल रहे हैं।

सिनेमैटोग्राफी और संगीत

फिल्म के युद्ध दृश्य और सिनेमैटोग्राफी बेहद भव्य हैं। बुरहानपुर का युद्ध, रायगढ़ का वैभव और मराठा संस्कृति को सजीव रूप दिया गया है।

ए.आर. रहमान द्वारा दिया गया संगीत औसत है। बैकग्राउंड स्कोर बेहतरीन है, लेकिन गाने उतने प्रभावशाली नहीं हैं कि लंबे समय तक याद रह सकें।

फिल्म क्यों देखें?

  1. अगर आप विक्की कौशल के फैन हैं
  2. अगर आपको ऐतिहासिक और एक्शन फिल्में पसंद हैं
  3. अगर आप विक्की और रश्मिका की जोड़ी को बड़े पर्दे पर देखना चाहते हैं
  4. अगर आप अक्षय खन्ना को एक नेगेटिव किरदार में फिर से देखना चाहते हैं

फिल्म की कमजोरियां

  1. अत्यधिक मारकाट के दृश्य कुछ दर्शकों को ज्यादा लग सकते हैं।
  2. पहला हाफ थोड़ा बोझिल लगता है।
  3. डायलॉग और गाने अधिक प्रभावशाली हो सकते थे

Chava Film Review

‘छावा’ एक भव्य ऐतिहासिक फिल्म है, जो मराठा गौरव और संघर्ष को प्रस्तुत करती है। कुल मिलाकर लक्ष्मण उत्तेकर ने एक अच्छी फिल्म बनाने की कोशिश की, लेकिन थोड़ी सी एडिटिंग की कमी रह गई। हालांकि, विक्की कौशल, अक्षय खन्ना, आशुतोष राणा, प्रदीप रावत, रश्मिका मंदाना, डायना पेंटी, विनीत कुमार और अन्य अभिनेताओं ने इसे पूरा करने की कोशिश की है।

ए.आर. रहमान का म्यूजिक वह छाप नहीं छोड़ता, जो जोधा-अकबर जैसी पीरियड फिल्म में दिखाई दी थी। फिल्म हिस्ट्री दर्शाने की एक ठीक-ठाक कोशिश है। हालांकि, फिल्म थोड़ी लंबी लग सकती है और संगीत औसत है, लेकिन शानदार अभिनय, दमदार निर्देशन और भव्य सिनेमैटोग्राफी इसे एक बार जरूर देखने लायक बनाते हैं।

रेटिंग: ⭐⭐⭐✨ (3.5/5)

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