आम मत | मथुरा
अयोध्या में राममंदिर के निर्माण के बीच मथुरा में कृष्णलला के लिए लगाई गई याचिका मथुरा कोर्ट ने बुधवार को खारिज कर दी। मामले में विष्णु जैन, हरिशंकर जैन और रंजना अग्निहोत्री ने सिविल जज सीनियर डिवीजन कोर्ट में पक्ष रखा। कोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया।
याचिका में जमीन को लेकर 1968 के समझौते को गलत बताया गया। इस याचिका के माध्यम से कृष्णलला जन्मभूमि की 13.37 एकड़ जमीन का स्वामित्व मांगा गया। याचिकाकर्ता रंजना अग्निहोत्री ने कहा कि अयोध्या का केस हम लोगों ने लड़ा, उसे जनता को सौंप दिया गया। अब कृष्णलला (श्रीकृष्ण) की मुख्य जन्मभूमि और जो इटेलियन ट्रैवलर ने अपने एकांउट में मेंशन किया है, उसके नक्शे के हिसाब से मुकदमे को सिविल में डाला गया है।
कृष्णलला जन्मस्थान मथुरा
याचिकाकर्ता विष्णु जैन ने कोर्ट को बताया कि जन्मस्थान की 13.37 एकड़ जमीन को राजा पटनीमल ने 1815 में खरीदा था। उनके पास इसके दस्तावेज भी हैं। याचिका में इतिहासकार जदुनाथ सरकार और इटालियन ट्रैवलर निकोला मानुची का भी जिक्र किया गया। जो इस बात की ओर इशारा करते हैं जन्मस्थान पर कटरा केशव देव में एक कृष्णलला (कृष्ण) मंदिर मौजूद था।
इसे जनवरी / फरवरी 1670 में मुगल सम्राट औरंगजेब के आदेश पर ध्वस्त कर दिया गया था। हालांकि, इस याचिका को लेकर (कृष्णलला) श्रीकृष्ण जन्मस्थान संस्थान ट्रस्ट का कहना है कि इस केस से उनका कोई लेना देना नहीं है।
उल्लेखनीय है कि मथुरा की अदालत में दायर हुए एक सिविल मुकदमे में कृष्णलला (श्रीकृष्ण) जन्मभूमि परिसर की 13.37 एकड़ जमीन का मालिकाना हक मांगा गया था। इसके साथ ही मंदिर स्थल से शाही ईदगाह मस्जिद को हटाने की अपील की गई। इससे पहले 28 सितंबर को हुई संक्षिप्त सुनवाई में एडीजी छाया शर्मा ने मामले को सुनवाई के लिए मंजूर कर लिया था।
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