आम मत | जयपुर
राजस्थान का सियासी संग्राम थमने का नाम नहीं ले रहा है। यह सियासी संग्राम अशोक गहलोत वर्सेज सचिन पायलट के रूप में शुरू हुआ था। अब यह गहलोत वर्सेज राज्यपाल बन चुका है। इसी क्रम में मुख्यमंत्री आवास पर मंगलवार को दो-ढाई घंटे तक कैबिनेट बैठक चली।
बैठक में राज्यपाल कलराज मिश्र की आपत्तियों पर चर्चा के बाद सरकार ने अपना जवाब तैयार कर तीसरी बार राज्यपाल को अर्जी भेज दी है। अब राजभवन के जवाब का इंतजार है। गहलोत सरकार 31 जुलाई से ही विधानसभा सत्र बुलाना चाहती है।
वहीं, राज्यपाल ने सोमवार को कहा था कि वे सत्र बुलाने के लिए तैयार हैं, लेकिन सरकार को 21 दिन के नोटिस की शर्त माननी ही पड़ेगी। वहीं, राज्यपाल मिश्र ने सरकार से दो प्रश्न भी किए।
राज्यपाल के दो सवाल
- क्या आप विश्वास मत प्रस्ताव चाहते हैं? यदि विश्वास मत हासिल करने की कार्यवाही की जाती है तो यह संसदीय कार्य विभाग के सचिव की मौजूदगी में ही हो। साथ ही इसकी वीडियो रिकॉर्डिंग भी कराई जाए। वहीं, इसका सीधा प्रसारण (Live Telecast) भी कराया जाए।
- विधानसभा सत्र बुलाने पर सोशल डिस्टेंसिंग कैसे रखी जाएगी? क्या सरकार के पास ऐसी व्यवस्था है, जिसमें 200 सदस्यों और करीब एक हजार कर्मचारियों को संक्रमण का खतरा कम हो ? अगर किसी को संक्रमण हुआ तो उसे फैलने से कैसे रोका जाएगा?
दो बार पहले भी राज्यपाल को भेजा जा चुका पत्र
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने शुक्रवार को राज्यपाल कलराज मिश्र को विधानसभा सत्र बुलाने के लिए पत्र लिखा था। इसे राज्यपाल ने यह कहते हुए ठुकरा दिया था कि मामला अभी सुप्रीम कोर्ट में है। अगर वे सत्र बुलाते हैं तो ऐसे में दो संवैधानिक संस्थाओं में टकराव हो सकता है।
इसके बाद सोमवार को विधानसभा अध्यक्ष (स्पीकर) सीपी जोशी ने शीर्ष कोर्ट में दायर याचिका वापस ले ली थी। इसके बाद फिर से राज्यपाल से सत्र बुलाने की मांग की गई। इसके लिए 7 दिन का नोटिस की भी बात कही गई। इसे भी ठुकरा दिया गया था।