आम मत | नयी दिल्ली,
RBI Demonetisation 2023: बिना किसी वैध पहचान पत्र के 2000 रुपये के नोट बदलने का दिल्ली उच्च न्यायालय की अनुमति के फैसले को बुधवार को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी गई। अधिवक्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय की ओर से दायर एक जनहित याचिका में कहा गया है कि 29 मई 2023 का दिल्ली उच्च न्यायालय का फैसला न्यायोचित नहीं है।
2000 Rupees Notes Exchange Issue – RBI Demonetisation Notification 2023
RBI Demonetised Notes Exchange: याचिकाकर्ता का तर्क है कि 19 और 20 मई को जारी आरबीआई की अधिसूचना (RBI Demonetisation Notification) ने अवैध धन को वैध बनाने का अवसर दिया है। इसलिए स्पष्ट रूप से यह मनमाना, तर्कहीन और समानता के मौलिक अधिकार के नियमों का उल्लंघन है। उच्च न्यायालय ने सोमवार को जनहित याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि यह विशुद्ध रूप से बैंकनोटों की वापसी से संबंधित नीतिगत निर्णय है और इसे विकृत या मनमाना नहीं कहा जा सकता है या इसने काले धन, मनी लॉन्ड्रिंग, मुनाफाखोरी या भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया है।
श्री उपाध्याय ने अपनी विशेष अनुमति याचिका में कहा कि उच्च न्यायालय यह मानने में विफल रहा कि आरबीआई अधिसूचना में स्वीकार करता है कि प्रचलन में 2000 रुपये के नोटों का कुल मूल्य 6.73 लाख करोड़ रुपये से घटकर 3.62 लाख करोड़ रुपये हो गया है। उन्होंने कहा, “इसका मतलब है कि 3.11 लाख करोड़ लोगों के लॉकर में पहुंच गए हैं और बाकी जमाखोरी कर दी गई है।”
याचिकाकर्ता अधिवक्ता ने यह भी दावा किया कि अधिसूचनाएं भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, बेनामी लेनदेन अधिनियम, मनी लॉन्ड्रिंग अधिनियम, लोकपाल अधिनियम, सीवीसी अधिनियम, भगोड़ा आर्थिक अपराधी अधिनियम और काला धन अधिनियम के उद्देश्यों और उद्देश्यों के विपरीत थीं। श्री उपाध्याय ने यह भी तर्क दिया है कि लगभग 30 करोड़ परिवारों के पास 130 करोड़ आधार कार्ड हैं। इसी तरह 225 करोड़ बैंक खाते हैं, जिनमें 48 करोड़ जन धन खाते शामिल हैं।
याचिका में कहा गया,‘‘ बैंक खाते में जमा किए बिना या किसी भी प्रकार की पर्ची और पहचान प्रमाण प्राप्त किए बिना 2000 रुपये के नोटों को बदलने की अनुमति देना स्पष्ट रूप से मनमाना, तर्कहीन है और इस तरह संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन करता है।”
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