आम मत | नई दिल्ली
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को लॉकडाउन के दौरान लोन मोरेटोरियम मामले में केंद्र सरकार को फटकार लगाई। कोर्ट ने केंद्र से कहा कि आप लोगों की परेशानियों की चिंता छोड़कर सिर्फ बिजनेस के बारे में नहीं सोच सकते।
सरकार आरबीआई के निर्णयों की आड़ ले रही है, जबकि उसे खुद फैसले लेने का अधिकार है। सरकार डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट के तहत सरकार बैंकों को ब्याज पर ब्याज वसूलने से रोक सकती है। मामले की अगली सुनवाई एक सितंबर को होगी। ब्याज की शर्त को कुछ ग्राहकों ने चुनौती दी है।
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उनकी दलील है कि मोरेटोरियम में इंटरेस्ट पर छूट मिलनी चाहिए, क्योंकि ब्याज पर ब्याज वसूलना गलत है। एक पिटीशनर की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने बुधवार की सुनवाई में यह मांग भी रखी कि जब तक ब्याज माफी की अर्जी पर फैसला नहीं होता, तब तक मोरेटोरियम पीरियड बढ़ा देना चाहिए।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि सरकार, आरबीआई के साथ को-ऑर्डिनेशन कर रही है। सभी समस्याओं का एक जैसा सॉल्यूशन नहीं हो सकता।
यह है मोरेटोरियम मामला
लॉकडाउन के कारण RBI ने मार्च में 3 महीने के लिए लोन की ईएमआई (मोरेटोरियम) टालने की सुविधा दी थी। इसे तीन महीने और बढ़ाकर 31 अगस्त तक कर दिया गया। आरबीआई ने कहा था कि लोन की किश्त 6 महीने नहीं चुकाएंगे, तो इसे डिफॉल्ट नहीं माना जाएगा। लेकिन, मोरेटोरियम के बाद बकाया पेमेंट पर पूरा ब्याज देना पड़ेगा।
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