आम मत | नई दिल्ली
सुप्रीम कोर्ट में प्रशांत भूषण अवमानना मामले में मंगलवार को सुनवाई हुई। कोर्ट ने कहा कि भूषण को अभिव्यक्ति की आजादी है, लेकिन वे अवमानना पर माफी नहीं मांगना चाहते हैं। व्यक्ति को गलती का अहसास होना चाहिए। हमने उन्हें समय दिया, लेकिन उन्हें कहा कि वे माफी नहीं मांगेगे।
वहीं, अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि शीर्ष कोर्ट को प्रशांत भूषण को चेतावनी देते हुए दया दिखानी चाहिए। कोर्ट ने वेणुगोपाल से पूछा कि भूषण ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट खत्म हो गया है, क्या यह आपत्तिजनक नहीं है? कोर्ट ने यह भी कहा कि यह केवल सजा का नहीं, बल्कि संस्थाओं में विश्वास का भी मामला है।
दूसरी बेंच के पास भेजा मामला, 10 सितंबर को होगी सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट ने प्रशांत भूषण के 2009 के अवमानना मामले को दूसरी बेंच के पास भेज दिया। 11 साल पहले तहलका मैगजीन को दिए इंटरव्यू में भूषण ने न्यायपालिका के खिलाफ टिप्पणी की थी। इस मामले अब सुनवाई 10 सितंबर को होगी।
लोग कोर्ट में राहत के लिए आते हैं
जस्टिस अरुण मिश्रा की बेंच ने भूषण की तरफ से पेश हुए वकील राजीव धवन से कहा कि लोग कोर्ट में राहत के लिए आते हैं, लेकिन जब उनका भरोसा ही हिला हुआ हो तो समस्या खड़ी हो जाती है। कपिल सिब्बल जर्नलिस्ट तरुण तेजपाल की तरफ से पेश हुए थे। उन्होंने बेंच से कहा कि लोग तो आएंगे और जाएंगे, लेकिन संस्थाएं हमेशा बनी रहेंगी। इनका सुरक्षित रहना जरूरी है।
कोर्ट ने इन दो ट्वीट को माना अवमानना
पहला : 27 जून- जब इतिहासकार भारत के बीते 6 सालों को देखते हैं तो पाते हैं कि कैसे बिना इमरजेंसी के देश में लोकतंत्र खत्म किया गया। इसमें वे (इतिहासकार) सुप्रीम कोर्ट, खासकर 4 पूर्व सीजेआई की भूमिका पर सवाल उठाएंगे।
दूसरा : 29 जून- इसमें वरिष्ठ वकील ने चीफ जस्टिस एसए बोबडे की हार्ले डेविडसन बाइक के साथ फोटो शेयर की। सीजेआई बोबडे की बुराई करते हुए लिखा कि उन्होंने कोरोना दौर में अदालतों को बंद रखने का आदेश दिया था।
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