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वैदिक रीति से ऐसे बनाएं राखी, शास्त्रों में है इनका बड़ा महत्त्व

आम मत

राखी के पहले कई बहनें अपने भाइयों के लिए घर में ही विभिन्न प्रकार की राखियां बनाने में बिजी हो जाती हैं। जिन बहनों के पास समय का अभाव होता है वे बाजार से राखी खरीद कर अपने भाइयों की कलाई पर बांधती हैं। सनातन धर्म में हर त्योहार को मनाने के पीछे कई कारण होते हैं। साथ ही उन्हें वैदिक और साइंटिफिक तरीके से मनाने के पीछे के लॉजिक भी। इस बार हम आपको बताने जा रहे हैं, ऐसी राखी की विधि जो ना सिर्फ बहुत आसान है, बल्कि यह वैदिक रीति के अनुसार है। वैदिक रीति से बनाई गई राखी या रक्षासूत्र बहुत बड़ा महत्त्व होता है। साथ ही इसे बनाने में ना ज्यादा मेहनत लगती है और ना ही समय।

वैदिक रक्षा सूत्र बनाने की विधि

इन 5 वस्तुओं की होती है आवश्यकता
(1) दूर्वा (घास), (2) अक्षत (चावल), (3) केसर, (4) चंदन, (5) सरसों के दाने ।

कैसे बनाएं
उपर दी गई इन पांचों वस्तुओं को रेशम के कपड़े में लेकर उसे बांध दें या सिलाई कर दें। उसे कलावा में पिरो दें, इस प्रकार वैदिक राखी तैयार हो जाएगी ।

यह है इन पांचों वस्तुओं का महत्त्व

  • दूर्वा – जिस प्रकार दूर्वा का एक अंकुर बो देने पर वह तेज़ी से फैलती है। उसी प्रकार मेरे भाई का वंश और उसमें सद्गुणों का विकास तेजी से हो। सदाचार, मन की पवित्रता तीव्रता से बढ़ता जाए। दूर्वा गणेशजी को अत्यंत प्रिय है यानी हम जिसे राखी बांध रहे हैं, उनके जीवन में विघ्नों का नाश हो जाए।
  • अक्षत – हमारी गुरुदेव के प्रति श्रद्धा कभी क्षत-विक्षत ना हो सदा अक्षत रहे।
  • केसर – केसर की प्रकृति तेज होती है अर्थात हम जिसे राखी बांध रहे हैं, वह तेजस्वी हो। उनके जीवन में आध्यात्मिकता का तेज, भक्ति का तेज कभी कम ना हो।
  • चंदन – चंदन की प्रकृति तेज होती है और यह सुगंध देता है । उसी प्रकार उनके जीवन में शीतलता बनी रहे, कभी मानसिक तनाव ना हो । साथ ही उनके जीवन में परोपकार, सदाचार और संयम की सुगंध फैलती रहे ।
  • सरसों के दाने – सरसों की प्रकृति तीक्ष्ण होती है यानी इससे यह संकेत मिलता है कि समाज के दुर्गुणों को, कंटकों को समाप्त करने में हम तीक्ष्ण बनें।

इस प्रकार इन पांच वस्तुओं से बनी हुई एक राखी को सर्वप्रथम गुरुदेव के श्री-चित्र पर अर्पित करें । फिर बहनें अपने भाई को, माता अपने बच्चों को, दादी अपने पोते को शुभ संकल्प करके बांधे ।

कुंती ने पोते अभिमन्यु को बांधी थी वैदिक राखी

महाभारत में यह रक्षा सूत्र माता कुंती ने अपने पोते अभिमन्यु को बांधी थी । जब तक यह धागा अभिमन्यु के हाथ में था तब तक उसकी रक्षा हुई, धागा टूटने पर अभिमन्यु की मृत्यु हुई ।

इन पांच वस्तुओं से बनी वैदिक राखी को शास्त्रों के अनुसार बांधने पर वह व्यक्ति (जिसे राखी बांधी गई है) वर्षभर अपने परिवार और बंधुओं के साथ सुखी रहता है।

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