आम मत | नई दिल्ली
दिल्ली में गणतंत्र दिवस पर ट्रैक्टर परेड के दौरान प्रदर्शनकारी किसानों ने जमकर उत्पात मचाया, जिसमें कई पुलिसकर्मी घायल हो गए। प्रदर्शनकारियों को काबू में करने के लिए पुलिस ने आंसू गैस का इस्तेमाल किया, लेकिन वे नहीं माने। दिल्ली में हुई इस हिंसा के बाद पुलिस कमिश्नर एसएन श्रीवास्तव ने किसान नेताओं पर विश्वासघात का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि किसानों ने पुलिस के साथ विश्वासघात किया। हमारे सामने कई विकल्प थे, लेकिन हमने संयम बरता।
कमिश्नर श्रीवास्तव ने कहा कि किसानों ने मंगलवार को पुलिस के द्वारा दिए गए निर्देशों का उल्लंघन करते हुए पुलिस बैरिकेड तोड़कर हिंसक घटनाएं की। कुल मिलाकर 394 पुलिसकर्मी घायल हुए और कुछ पुलिसकर्मी आईसीयू में हैं। हम दिल्ली में गैर-क़ानूनी तरीके से किए गए आंदोलन और उस दौरान हिंसा और लाल किले पर फहराए गए झंडे को बड़ी गंभीरता से ले रहे हैं। हिंसा करने वालों की वीडियो हमारे पास है, विश्लेषण हो रहा है।
पुलिस कमिश्नर ने कहा कि गाजीपुर में किसान नेता राकेश टिकैत के साथ जो किसान मौजूद थे। उन्होंने भी हिंसा की घटना को अंजाम दिया और आगे बढ़कर अक्षरधाम गए। हालांकि पुलिस द्वारा कुछ किसानों को वापस भेजा गया लेकिन कुछ किसानों ने पुलिस बैरिकेड तोड़े और लाल किले पहुंचे। पहचान की जा रही है, गिरफ़्तारियां की जाएंगी।
किसान नेताओं को दिया गया था केएमपी का ऑप्शन
अब तक 25 से ज्यादा मामले दर्ज़ किए गए हैं। कोई भी अपराधी जिसकी पहचान होती है, उसे छोड़ा नहीं जाएगा। जो किसान नेता इसमें शामिल हैं उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। पुलिस कमिश्नर ने कहा कि हमने किसान नेताओं को KMP (कुंडली-मानेसर-पलवल) का ऑप्शन दिया। उनकी सिक्योरिटी, मेडिकल, सब्जी की सुविधा देने का हमने वादा किया था। सबसे पहले बोला गया कि 26 जनवरी की जगह कोई और तारीख रख लें, लेकिन उन्होंने मना कर दिया।
पन्नू ने दिया भड़काऊ भाषण तो दर्शनपाल ने रूट नहीं किया फॉलो
पुलिस कमिश्नर एसएन श्रीवास्तव ने कहा कि हमें 2 जनवरी को ट्रैक्टर रैली की जानकारी मिली थी। जानकारी मिलते ही हमने किसान नेताओं से बात की. हमने 26 जनवरी को परेड नहीं निकालने को कहा, लेकिन वे दिल्ली में रैली निकालने पर अड़े रहे। एसएन श्रीवास्तव ने कहा कि 25 जनवरी को हमने महसूस किया कि किसान उपद्रवी तत्वों को आगे बढ़ा रहे हैं। किसान नेता सतनाम सिंह पन्नू ने भड़काऊ भाषण दिए तो वहीं दर्शनपाल सिंह ने रूट फॉलो नहीं किया। उन्होंने किसानों को भड़काया।