आम मत | जयपुर/नई दिल्ली
राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट के बीच मतभेद अब सामने आ गए हैं। विधायक खरीद-फरोख्त मामले में स्पेशल ऑपरेशन यूनिट (एसओजी) ने सचिन पायलट को नोटिस भेजा। इससे डिप्टी सीएम नाराज हो गए।
एसओजी ने मामले में सीएम गहलोत और डिप्टी सीएम पायलट को 10 जुलाई को नोटिस जारी किया। नोटिस में बयान दर्ज कराने के लिए कहा गया। नोटिस के बाद सचिन पायलटों ने नाराज हो गए और अन्य नाराज विधायकों से चर्चा कर आलाकमान से मिलने दिल्ली निकल गए।
जानकारी के अनुसार, सचिन पायलट समर्थक विधायकों के साथ दिल्ली में हैं। उनके साथ करीब 12 विधायक हैं। राजस्थान प्रभारी अविनाश पांडे के अनुसार, पायलट ने अभी मिलने का समय नहीं मांगा है। दूसरी ओर सूत्रों की मानें, तो कांग्रेस आलाकमान सचिन पायलट से अभी मिलने के मूड में नहीं है।
बताया जा रहा है कि सचिन पायलट पूछताछ के नोटिस मिलने के कारण काफी नाराज है। सूत्रों के मुताबिक सचिन पायलट खेमे को डिप्टी सीएम से पूछताछ के लिए एसओजी का नोटिस स्वीकार्य नहीं है। पायलट खेमे ने आरोप लगाया कि गहलोत खेमा पायलट को पीसीसी अध्यक्ष पद से हटाने के लिए माहौल बना रहा है।
डिप्टी सीएम खेमे के सूत्रों ने कहा कि पायलट के साथ 12 विधायक हैं और जब मौका आएगा तब फैसला लिया जाएगा। वहीं, राज्य के खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री रमेश मीणा ने भी नोटिस मिलने पर नाराजगी जताई है। मीणा सचिन पायलट खेमे के माने जाते हैं। उनका कहना है कि ना उन्होंने शिकायत की और ना ही उन पर आरोप है तो उन्हें नोटिस क्यों भेजा गया।
उल्लेखनीय है कि एसओजी ने सीएम, डिप्टी सीएम सहित 20 से ज्यादा मंत्रियों और विधायकों को भी नोटिस भेजा था। कांग्रेस का समर्थन करने वाले निर्दलीय विधायकों को भी पूछताछ के लिए नोटिस भेजा गया है। कहा जा रहा है कि पायलट नोटिस को लेकर विक्टिम कार्ड खेल रहे थे। इसे देखते हुए एसओजी ने कई लोगों को नोटिस भेज दिया।
नोटिस में आईपीसी की धारा 124 ए और 120 बी का उल्लेख किया गया है। धारा 124ए देशद्रोह से जुड़ी है। इसमें अगर कोई नागरिक सरकार के खिलाफ लिखता या बोलता है। या राष्ट्रीय चिह्नों का अपमान करता है। या इन सभी बातों का समर्थन करता है तो उसे तीन साल या आजीवन कारावास तक हो सकता है।
सामान्य बयान देने का आया है नोटिसः गहलोत
मामले पर सीएम अशोक गहलोत ने ट्वीट कर कहा कि एसओजी को जो कांग्रेस विधायक दल ने बीजेपी नेताओं द्वारा खरीद-फरोख्त की शिकायत की थी। उस संदर्भ में मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री, चीफ व्हिप एवं अन्य कुछ मंत्री व विधायकों को सामान्य बयान देने के लिए नोटिस आए हैं। कुछ मीडिया द्वारा उसको अलग ढंग से प्रस्तुत करना उचित नहीं है।