– जयपुर नगर निगम चुनाव को लेकर जिला प्रशासन के दावों की खुली पोल
– आम मत ने जाना पार्षद प्रत्याशियों के जन सहायता केंद्रों का हाल
– चुनाव के दौरान कोरोना के लिए जारी किए नियमों की पार्षद प्रत्याशियों और समर्थकों ने उड़ाई धज्जियां
– आमजन से ज्यादा बूथों पर दिखे प्रत्याशियों के समर्थक-कार्यकर्ता
आम मत | जयपुर
पुलकित शर्मा की रिपोर्ट
आप जब किसी को कॉल करते होंगे तो बिग बी यानी अमिताभ बच्चन की आवाज आपको सुनाई देती होगी। इसमें वे कहते हैं कि दो गज दूरी, मास्क है जरूरी। क्या ये आवाज या ये नियम सिर्फ आम लोगों के लिए ही हैं। या ये सिर्फ वहीं तक ही लागू होते हैं, जहां भीड़ भाड़ हो। क्या कोरोना से जुड़े नियम राजनेताओं पर लागू नहीं होते। ऐसे कई सवाल हैं जो आपके जहन में भी उठते होंगे।
भले ही, जिला निर्वाचन अधिकारी (म्यूनिसिपल) एवं जिला कलक्टर अंतर सिंह नेहरा ने यह दावा किया हो कि मतदान केंद्रों पर सेनेटाइजेशन, मास्क, सोशल डिस्टेंसिंग की पालना के साथ मतदान कराया गया हो। लेकिन उन्होंने यह स्पष्ट नहीं किया कि पार्षद प्रत्याशियों की ओर से लगाए गए बूथ पर सोशल डिस्टेंसिंग और कोरोना से जुड़े अन्य नियमों की अवहेलना होने पर प्रशासन उन लोगों के खिलाफ क्या कार्रवाई करेगा।
मतदान दिवस यानी एक नवंबर को इलेक्शन कमीशन के नियमों की कैसे पार्षद प्रत्याशियों ने अपने बूथों पर धज्जियां उड़ाई यह हमने अपने कैमरे में रिकॉर्ड किया। पार्षद प्रत्याशियों के समर्थकों का हुजूम ऐसे लग रहा था, जिसे फ्री बंट रही वस्तु को लेने आए हों। हमने जब उन्हें सोशल डिस्टेंसिंग की पालना के बारे में कहा तो वे अर्न्गल तर्क देने लगे।
चलिए हम आपको बताते हैं कि सुबह से लेकर शाम तक कैसे इलेक्शन कमीशन और राज्य सरकारों के बनाए नियमों की अवहेलना की गई।
वॉर्ड 72, स्थान- हीरा पथ, मानसरोवर
मतदान दिवस यानी एक नवंबर को मैं जयपुर ग्रेटर के कई वार्डों में गया। पहले कई मतदान केंद्रों पर गया, जहां मास्क, सेनेटाइजर और सोशल डिस्टेंसिंग की पालना देख अच्छा लगा। लगने लगा कि प्रशासन ने कोरोना को गंभीरता से लिया है और इसके नियमों की पालना भी कड़ाई से कराई जा रही है।
इसके बाद प्रत्याशियों के बूथ की ओर गए तो हालत देख खुद डर गया। कहने को ये बूथ जनता की मदद के लिए लगाए जाते हैं। इन्हें देखकर ये लगा कि ये बूथ जनता की मदद कम उन्हें बीमारी ज्यादा दे सकते हैं। वार्ड 72 से निर्दलीय प्रत्याशी समदर सिंह शेखावत के बूथ पर कुछ कार्यकर्ता बिना मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग की अवहेलना करते नजर आए।
वहीं, इसी यानी वार्ड नंबर 72 से भाजपा प्रत्याशी पारस जैन के कार्यकर्ताओं और समर्थकों भी सोशल डिस्टेंसिंग नियम की अवहेलना करते दिखे। उन्होंने हमसे यहां तक कह दिया कि राज्य सरकार के मंत्री ही सोशल डिस्टेंसिंग की पालना नहीं करते। वे सिर्फ उनका अनुसरण कर रहे हैं।
वार्ड 73, स्थान – किरण पथ (स्प्रिंग फील्ड स्कूल के नजदीक)
हीरा पथ से हमने रुख किया वार्ड 73 का। मानसरोवर के किरण पथ स्थित स्प्रिंग फील्ड स्कूल में मतदान केंद्र था। इस स्कूल के सामने वाली रोड पर आमने-सामने भाजपा-कांग्रेस के प्रत्याशियों के बूथ लगे हुए थे। इन दोनों बूथों पर कुल 50-60 लोग जमा थे। साथ ही, दोनों प्रत्याशी भी यहां मौजूद थे। इस वार्ड से अरुण कुमार वर्मा भाजपा के उम्मीदवार बनाए गए थे तो कांग्रेस ने रामचंद्र देवंदा को उतारा था।
जब हमने भाजपा प्रत्याशी के बूथ की ओर रुख किया तो कैमरा ऑन देखते ही वहां मौजूद कई लोग मास्क पहनने लगे। हालांकि, इन सभी ने सोशल डिस्टेंसिंग की पालना बिलकुल नहीं की हुई थी। भाजपा प्रत्याशी अरुण कुमार वर्मा खुद बिना मास्क लगाए बूथ पर बैठे हुए थे। इससे पहले सरयू मार्ग पर अरुण वर्मा के ही कार्यकर्ताओं ने मास्क उतार दिया और जब उन्हें लगाने के लिए कहा गया तो उन्होंने साफ तौर पर मना करते हुए कहा कि हम तो इसी प्रकार पहनते हैं।
वहीं, रामचंद्र देवंदा के बूथ पर सोशल डिस्टेंसिंग के साथ कई समर्थकों ने तो मास्क तक नहीं पहना हुआ था। दो समर्थकों ने हमें देखकर मास्क उतार दिया और ऐसा जताने लगे जैसे उन्हें कोरोना नियमों की कोई परवाह ही नहीं है।
वार्ड 69, किरण पथ (आदर्श विद्या मंदिर स्कूल के पास)
वार्ड नंबर 73 के बूथों की हालत देखने के बाद आम मत जब वार्ड नंबर 69 के मानसरोवर के ही किरण पथ स्थित आदर्श विद्या मंदिर के पास पहुंचे तो यहां कई प्रत्याशियों के बूथ लगे हुए थे। इनमें कांग्रेस के कमलेश गोयल, भाजपा के आशीष कुमार शर्मा और कई निर्दलीय प्रत्याशियों के भी बूथ लगे हुए थे। इन सभी बूथों पर बैठे कुछ लोग मास्क नहीं लगाए हुए थे।
साथ ही, सोशल डिस्टेंसिंग की पालना तो छोड़ ही दीजिए। हर बूथ पर 10 से ज्यादा समर्थक और कार्यकर्ता मौजूद थे। इन बूथों पर आमजन की भीड़ कम इन्हीं कार्यकर्ताओं और समर्थकों की भीड़ दिखाई दे रही थी और वह भी सोशल डिस्टेंसिंग की अवहेलना के साथ।
वार्ड 69, वरुण पथ, मानसरोवर थाना के पास
हम जब वरुण पथ पहुंचे तो वहां कांग्रेस और भाजपा के प्रत्याशियों ने अपने बूथ लगाए हुए थे। भाजपा के बूथ पर बिना मास्क लगाए और सोशल डिस्टेंसिंग की अवहेलना के साथ उम्मीदवार आशीष कुमार शर्मा के समर्थक खड़े हुए थे। वहीं, भाजपा के बूथ के ठीक सामने कांग्रेस प्रत्याशी कमलेश गोयल का जन सहायता केंद्र या बूथ था।
यहां मौजूद लोगों ने सोशल डिस्टेंसिंग की थोड़ी पालना तो की हुई थी, लेकिन कुछ ने मास्क नहीं लगाया हुआ था। जब उन्हें याद दिलाया गया कि प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और अब अमिताभ बच्चन ‘दो गज दूर, मास्क है जरूरी’ जैसे कोरोना नियमों के बारे में जानकारी देते रहते हैं तो इस पर उन्होंने कुतर्क करते हुए कहा कि अमिताभ बच्चन का तो पूरा परिवार कोरोनाग्रसित हो चुका है। उनसे जब ये कहा गया कि तो क्या वे भी अपने घर कोरोना लेकर जाना चाहते हैं तो भी बहस करते रहे।
वार्ड 70 और 72, वरुण पथ (महावीर दिगंबर जैन मंदिर के पास)
हम जब वरुण पथ के दयानंद स्कूल के पास प्रत्याशियों द्वारा जन सहायता केंद्रों पर पहुंचे तो यहां का हाल बेहद बेहाल था। यहां वार्ड संख्या 70 और 72 दोनों के लिए उम्मीदवारों ने अपने बूथ लगाए हुए थे। वार्ड 70 से भाजपा प्रत्याशी रामावतार गुप्ता हो या कोई अन्य। भले ही मास्क मीडिया को देखने के बाद लगाया गया, लेकिन सोशल डिस्टेंसिंग की अवहेलना जमकर की गई।
वार्ड नंबर, 37, झोटवाड़ा
मानसरोवर की तरह झोटवाड़ा का हाल भी बेहाल था। यहां भी कार्यकर्ताओं और समर्थकों में जोश तो था, लेकिन अपने इस जोश में वे नियमों की अवहेलना करने में भी पूरी तरह मुस्तैद थे। वार्ड 37 के कांग्रेस उम्मीदवार नरेंद्र वशिष्ठ के बूथ पर तो बच्चे भी बैठे हुए थे।
ये सभी लोग सोशल डिस्टेंसिंग की अवहेलना किए हुए थे। आगे बढ़ने पर भाजपा के वार्ड 37 से प्रत्याशी रमेश चंद्र गुप्ता के दोनों बूथों पर सोशल डिस्टेंसिंग की अवहेलना तो की ही गई। साथ ही यहां मास्क को भी नीचे किया हुआ था।
क्या प्रत्याशियों के जन सहायता केंद्रों पर नियमों की अवहेलना होना चुनाव आयोग के दायरे में नहीं आता ?
सवाल यह उठता है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद राज्य के तीन जिलों में नगर निगम चुनाव की तिथि घोषित की गई। कोर्ट ने अपने आदेश में कोरोना नियमों की पालना की भी बात कही थी। इसके बाद इलेक्शन कमीशन ने कोरोना के नियमों के साथ नगर निगम चुनाव की तारीखों की घोषणा कर दी।
कोरोना महामारी को देखते हुए सोशल डिस्टेंसिंग, मास्क अनिवार्य जैसे नियमों को जरूरी किया गया। तो ऐसे में हर बूथ पर इतने समर्थक कैसे नजर आए? इसके लिए क्या किसी प्रकार के नियमों की जानकारी इन पार्टियों और उम्मीदवारों को नहीं दी गई थी ? क्या प्रत्याशियों के जन सहायता केंद्र चुनाव आयोग और जिला निर्वाचन अधिकारी के दायरे में नहीं आते ?
राज्य में कोरोना के बढ़ते मामलों को ऐसे रोक पाएगी सरकार?
राज्य के स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, राज्यभर में 1700 से अधिक नए संक्रमित सामने आए हैं। वहीं, 10 लोगों की मौत भी हुई है। राज्य सरकार ने 16 नवंबर तक स्कूलों और 30 नवंबर तक मल्टीप्लेक्स आदि बंद रखने के आदेश भी दिए। ऐसे में प्रत्याशियों के जन सहायता केंद्रों पर समर्थकों और कार्यकर्ताओं की इतनी भीड़ क्यों रही ? क्यों पुलिस और चुनाव आयोग इन पर ढिलाई बरते रहा ? क्या इन प्रत्याशियों पर किसी प्रकार की कार्रवाई होगी या ये रिपोर्ट सरकारी कागजों में कहीं दब जाएगी ?
आम मत की मांग- पार्षद प्रत्याशियों पर हो कड़ी कार्रवाई
कोरोना अभी गया नहीं है, सावधानी ही बचाव है। दो गज दूरी, मास्क है जरूरी जैसे नियमों की इन चुनावों में जमकर धज्जियां उड़ाई गई। ये सिर्फ मतदान के दिन ही नहीं हुआ, बल्कि प्रचार के दौरान भी हुआ।
आम मत चुनाव आयोग से मांग करता है कि ऐसे प्रत्याशियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए, जिनके जन सहायता केंद्रों पर इतनी भीड़ थी। कारण सिर्फ इतना है कि कोरोना एक वैश्विक महामारी है और ऐसे में जब जनप्रतिनिधि ही नियमों को ताक पर रख देंगे तो आमजन से कैसे इन नियमों की पालना कराएंगे।