आम मत | नई दिल्ली
भारत और चीन के बीच लद्दाख में सीमा विवाद अभी पूरी तरह से शांत नहीं हुआ है। इसका खामियाजा परोक्ष रूप से चीन को उठाना पड़ रहा है। भारत ने उसके कई ऐप को बैन कर दिया है। अब भारत के मोबाइल बाजार पर भी इसका असर देखने को मिलेगा। भारतीय बाजार में चीनी मोबाइल कंपनियों का 70 फीसदी कब्जा है। मोबाइल मार्केट पर अब जल्द ही चीन की बादशाहत खत्म हो सकती है।
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट की मानें तो सैमसंग और एप्पल जैसी मोबाइल कंपनियों के बाद अब अन्य कंपनियां भी भारतीय मार्केट में उतरने की रूचि दिखा रही है। इन कंपनियों की ओर से भारत में मोबाइल फोन फैक्टरी लगाने के लिए करीब 1.5 अरब डॉलर का निवेश किए जाने की उम्मीद है। सैमसंग और एपल के अलावा फॉक्सकॉन, विस्ट्रॉन कॉर्प और पेगाट्रॉन जैसी कंपनियां भी शामिल हैं।
कंपनियों की वियतनाम है पहली पसंद
अमेरिका-चीन तनाव और कोरोना के चलते ये कंपनियां आपूर्ति व्यवस्था में विविधता के लिए नई जगहों की तलाश कर रही हैं। हालांकि, कारोबार सस्ता करने के बावजूद भारत को बड़ा फायदा नहीं हुआ है। इन कंपनियों की पहली पसंद वियतनाम बना हुआ है। इसके बाद कंबोडिया, म्यांमार, बांग्लादेश और थाईलैंड हैं।
देश में 10 लाख रोजगार अवसरों की संभावना
सरकार को उम्मीद है कि आने वाले 5 साल में 153 अरब डॉलर का सामान बनाया जा सकता है। इससे एम्प्लॉयमेंट के करीब 10 लाख अवसरों का सृजन होगा। विश्लेषकों के अनुसार इससे पांच साल में 55 अरब डॉलर का निवेश आने की संभावना है।