आम मत | नई दिल्ली
नेशनल एजुकेशन पॉलिसी को मोदी सरकार के कैबिनेट ने मंजूरी मिल चुकी है। सरकार का कहना है कि 36 साल बाद देश की शिक्षा पद्धति में बदलाव करने की जरूरत थी इसलिए ये बदलाव किए गए। केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने शनिवार को बताया कि नई शिक्षा नीति के 5+3+3+4 का सबसे बड़ा फायदा है कि राइट टू एजुकेशन के दायरे में अब 3 से 18 साल के बच्चे आ जाएंगे। वहीं, 10वीं और 12वीं बोर्ड की परीक्षाएं जारी रखी जाएगी। बच्चों पर इसका प्रेशर कम हो, इसलिए अब बच्चे दो बार बोर्ड एग्जाम दे पाएंगे।
शिक्षा मंत्री ने कहा कि अगले 10 सालों में शिक्षा पर खर्च बढ़ाकर 20 प्रतिशत तक किया जाएगा। विभिन्न क्षेत्रों की फंडिंग और जटिलता को देखते हुए उच्च शिक्षा के लिए एक फंड स्ट्रीम जरूरी है। इसमें उच्च शिक्षा वित्त पोषण एजेंसी के जरिए केंद्र और राज्यों के संस्थानों के लिए सरकार गारंटीकृत ऋण तंत्र विकसित करेगी।
पोखरियाल ने कहा कि अब छात्र एक साथ कई सब्जेक्ट पढ़ सकेगा। नई व्यवस्था में छात्र हर पक्ष की पढ़ाई कर सकता है, हालांकि इसे लागू करने में थोड़ा वक्त लग सकता है। उन्होंने कहा कि इसे लागू करने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों को शिक्षा में सार्वजनिक निवेश में वृद्धि करनी होगी। वर्ष 2020 के लिए एक लाख 13 हजार करोड़ से ज्यादा अतिरिक्त राशि वित्त आयोग ने साझा की है।