आम मत | नई दिल्ली
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को हुई कैबिनेट की बैठक में अभूतपूर्व फैसला लिया गया। बैठक में 34 साल देश की एजुकेशन पॉलिसी में बदलाव किए गए। साथ ही, एचआरडी (मानव संसाधन विकास मंत्रालय) के नाम बदलकर मिनिस्ट्री ऑफ एजुकेशन करने की भी मंजूरी दी गई।
सरकार ने हायर एजुकेशन में 50 प्रतिशत एनरोलमेंट का लक्ष्य तय किया है। देश में 1986 में राष्ट्रीय शिक्षा निति बनाई गई थी। इसकी समीक्षा के लिए 1990 और 1993 में कमेटियां भी बनी थी। 10+2 के स्ट्रक्चर के बजाए स्कूली बच्चों के लिए करिकुलम का पैटर्न 5+3+3+4 की तर्ज पर लागू किया गया है।
इसके तहत 3-6 साल का बच्चा एक ही तरीके से पढ़ाई करेगा ताकि उसकी फाउंडेशन लिटरेसी को बढ़ाया जा सके। इसके बाद मिडिल स्कूल यानी 6-8 कक्षा में सब्जेक्ट का इंट्रोडक्शन कराया जाएगा। फिजिक्स के साथ फैशन की पढ़ाई करने की भी इजाजत होगी। कक्षा 6 से ही बच्चों को कोडिंग सिखाई जाएगी।
स्कूली शिक्षा में 6-9 वर्ष के जो बच्चे आमतौर पर 1-3 क्लास में होते हैं उनके लिए नेशनल मिशन शुरू किया जाएगा ताकि बच्चे बुनियादी शिक्षा को समझ सकें। नई शिक्षा नीति के तहत जो बच्चे शोध के क्षेत्र में जाना चाहते हैं उनके लिए भी 4 साल का डिग्री प्रोग्राम होगा।
रिसर्च में जाने के लिए एमफिल की बाध्यता खत्म
वहीं जो लोग नौकरी में जाना चाहते हैं उनके लिए 3 साल का डिग्री प्रोग्राम होगा। रिसर्च में जाने के इच्छुक विद्यार्थियों के लिए एमफिल करने की बाध्यता नहीं होगी। वह एक साल के एमए के बाद चार का डिग्री प्रोग्राम में जा सकेंगे।
एनटीए को हायर एजुकेशन के लिए कॉमन एंट्रेंस परीक्षा आयोजित कराने का एडिशनल चार्ज
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) के अनुसार, नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) को अब देश भर के विश्वविद्यालयों में प्रवेश के लिए प्रवेश परीक्षा आयोजित करने के लिए एडिशनल चार्ज दिया जाएगा। वह हायर एजुकेशन के लिए कॉमन एंट्रेंस परीक्षा का आयोजन कर सकता है। NTA पहले से ही ऑल इंडिया इंजीनियरिंग एंट्रेंल एग्जाम JEE Main, मेडिकल प्रवेश परीक्षा – NEET, UGC NET, दिल्ली विश्वविद्यालय (DU), जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) जैसे केंद्रीय विश्वविद्यालयों में प्रवेश के लिए प्रवेश परीक्षा आयोजित करता है।