भारत की सब्सिडी कटौती से हरित ऊर्जा को मिला बढ़ावा
नई दिल्ली, 04 नवंबर 2024:
ADB Asia Pacific Climate Report: भारत की फॉसिल ईंधन सब्सिडी में बड़ी कटौती को लेकर एशियन डेवलपमेंट बैंक (ADB) ने देश की सराहना की है। इस कदम का मुख्य उद्देश्य देश में हरित ऊर्जा और सतत विकास को बढ़ावा देना है। यह पहल भारत की 2070 तक नेट-जीरो उत्सर्जन प्राप्त करने की बड़ी रणनीति का हिस्सा है, जो वैश्विक जलवायु लक्ष्यों के साथ मेल खाती है।
ADB की एशिया-प्रशांत जलवायु रिपोर्ट में भारत के “रिमूव, टार्गेट और शिफ्ट” (हटाओ, लक्ष्य बनाओ और बदलाव लाओ) रणनीति की प्रभावशीलता को विशेष रूप से रेखांकित किया गया है, जिससे तेल और गैस क्षेत्र में सब्सिडी में 85% तक की कटौती हुई है। यह रणनीतिक बदलाव न केवल आर्थिक विकास को समर्थन देता है बल्कि पर्यावरण के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को भी दर्शाता है।
एडीबी की रिपोर्ट में भारत की ऊर्जा रणनीति की प्रशंसा
ADB की हालिया रिपोर्ट में भारत की फॉसिल ईंधन सब्सिडी में कटौती को बेहद कारगर बताया गया है। रिपोर्ट के अनुसार, इस सुधार ने भारत को अपनी हरित ऊर्जा परियोजनाओं के लिए वित्त पोषण को पुनर्निर्देशित करने में सहायता की है। इसमें विशेष रूप से नवीकरणीय ऊर्जा, जैसे सौर और पवन ऊर्जा परियोजनाओं पर जोर दिया गया है, जो जलवायु परिवर्तन को रोकने के प्रयासों में मददगार साबित हो रहे हैं।
ADB का मानना है कि भारत ने सही समय पर इस रणनीति को लागू किया है, जिससे न केवल पर्यावरणीय सुधार हुआ है, बल्कि देश में रोजगार सृजन और आर्थिक वृद्धि को भी बढ़ावा मिला है। इस नीतिगत सुधार ने भारत को विकास और पर्यावरण के बीच संतुलन स्थापित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण नेतृत्व दिया है।
कोयले पर सेस और नवीकरणीय ऊर्जा के लिए वित्तीय संसाधन
भारत ने हरित ऊर्जा परियोजनाओं को वित्तपोषित करने के लिए कोयला उत्पादन पर सेस जैसे कर उपायों का सहारा लिया है। इस कर से जो वित्तीय संसाधन जुटाए गए हैं, उन्हें ऊर्जा बुनियादी ढांचे को सुधारने के लिए भी उपयोग में लाया जा रहा है। इससे न केवल भारत के ऊर्जा उत्पादन की संरचना में बदलाव आ रहा है, बल्कि यह नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों के विकास को भी गति दे रहा है।
भारत के इस कदम ने अन्य देशों के लिए भी एक उदाहरण प्रस्तुत किया है, जो अपनी ऊर्जा नीति में सुधार कर हरित ऊर्जा को बढ़ावा देने का प्रयास कर रहे हैं। इसके अलावा, कोयला आधारित ऊर्जा स्रोतों पर निर्भरता को कम करने से पर्यावरण प्रदूषण को भी नियंत्रित करने में मदद मिली है।
2014 से 2018 के बीच हुई महत्वपूर्ण प्रगति
भारत ने 2014 से 2018 के बीच फॉसिल ईंधन सब्सिडी में उल्लेखनीय कटौती की है। इस अवधि के दौरान, ईंधन सब्सिडी में कमी कर भारत ने साफ ऊर्जा स्रोतों की ओर रुख किया। इस पहल ने न केवल नवीकरणीय ऊर्जा के लिए मार्ग प्रशस्त किया, बल्कि जलवायु परिवर्तन के खिलाफ भारत के प्रयासों को भी बल दिया।
इस दौरान, भारत ने अपने कर ढांचे में भी कई बदलाव किए ताकि फॉसिल ईंधन पर निर्भरता को घटाया जा सके और नवीकरणीय ऊर्जा को प्रोत्साहन दिया जा सके। इन सुधारों ने भारतीय अर्थव्यवस्था को एक नई दिशा दी है और अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत को एक अग्रणी भूमिका में स्थापित किया है।
भारत का हरित ऊर्जा पहल में अग्रणी कदम
ADB का यह मानना है कि भारत ने अपनी ऊर्जा नीति में जिस तरह के सुधार किए हैं, वे अन्य देशों के लिए एक मिसाल हैं। भारत ने जिस प्रकार सब्सिडी में कटौती की है, उससे आर्थिक विकास और पर्यावरणीय संरक्षण दोनों को लाभ हुआ है। यह पहल भारत को भविष्य में हरित ऊर्जा के क्षेत्र में एक वैश्विक नेता के रूप में स्थापित कर सकती है।
भारत की यह ऊर्जा नीति जलवायु संकट से निपटने और ऊर्जा सुरक्षा को सुदृढ़ करने के उद्देश्य से प्रेरित है। यह पहल अन्य देशों के लिए एक मॉडल है, जो यह दिखाती है कि आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के साथ-साथ सतत विकास भी संभव है। आने वाले समय में, यदि अन्य राष्ट्र भारत की तरह अपनी ऊर्जा नीति में सुधार करते हैं, तो इससे वैश्विक स्तर पर पर्यावरण में सुधार लाने में मदद मिल सकती है।
इस सब्सिडी कटौती के कदम ने भारत को जलवायु संकट का सामना करने के लिए एक नई ऊर्जा दी है। ADB का यह समर्थन भारत की हरित ऊर्जा में योगदान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता दिलाता है। भारत इस नीतिगत सुधार के माध्यम से वैश्विक मंच पर खुद को एक अग्रणी राष्ट्र के रूप में प्रस्तुत कर रहा है, जो अपने पर्यावरणीय दायित्वों के प्रति सचेत है।
ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज अपडेट के लिए हमें फेसबुक पर लाइक करें या ट्विटर पर फॉलो करें। AAMMAT.in पर विस्तार से पढ़ें प्रमुख और अन्य ताजा-तरीन खबरें।