आम मत | नई दिल्ली
दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को बंद प्रत्यक्षीकरण की याचिका पर अहम फैसला दिया। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि एक वयस्क महिला कहीं भी और किसी के भी साथ रहने के लिए स्वतंत्र है। हाईकोर्ट ने एक युवती के परिवार की ओर से बेटी को पेश करने के लिए दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर यह फैसला सुनाया।
मामले के अनुसार, युवती के परिवार का दावा था कि वह गायब हो गई है। मामले में खुद युवती ने कोर्ट के सामने पेश होकर बताया कि वह अपनी मर्जी से परिवार और घर छोड़कर आई। फिलहाल शादी करके एक व्यक्ति के साथ रह रही है। कोर्ट ने पाया कि युवती गायब नहीं है बल्कि अपनी मर्जी से पैतृक घर को छोड़कर किसी व्यक्ति के साथ शादी करके रह रही है तो उसने मामले में याचिका का निपटारा कर दिया।
अदालत ने कहा कि कोई भी वयस्क महिला अपनी मर्जी से कहीं भी और किसी के भी साथ रहने के लिए स्वतंत्र है। कोर्ट ने पाया कि इस युवती साल 2000 में पैदा हुई थी। यानी वह तकरीबन 20 साल की है और वयस्क है। ऐसी स्थिति में परिजन उस पर अपना कोई भी फैसला थोपने के लिए दबाव नहीं डाल सकते हैं।
यह भी दिया आदेश
कोर्ट ने आदेश दिया कि युवती पर उसके परिजन घर वापस लौटने का दबाव नहीं डालेंगे। कोर्ट ने पुलिस को भी निर्देश दिया कि वह लड़के के घर पर दोनों को लेकर जाएंगे और उनके रहने की व्यवस्था की जाएगी।
कोर्ट ने पुलिस को आदेश दिया कि दोनों (युवक-युवती) में से किसी के परिजन भी उन्हें धमकी देकर तंग ना करने पाएं। इसलिए वयस्क कपल को बीट कांस्टेबल का मोबाइल नंबर दिया जाए। कोर्ट ने पुलिस को कहा है कि आगे भी नजर रखने के लिए या कोई सहायता की जरूरत होने पर दंपति की सहायता की जाए।