आम मत | जयपुर
महाशिवरात्रि, हिंदुओं में इस दिन का खास महत्त्व है। महाशिवरात्रि हर वर्ष फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाई जाती है। इसी दिन मां गौरा यानी पार्वती के साथ भगवान शिव का विवाह हुआ था। महादेव भूत, प्रेत आदि अपने गणों के साथ नंदी पर सवार होकर हिमालय-मैना देवी के घर माता पार्वती को ब्याहने के लिए पहुंचे थे। इस दिन व्रत भी रखा जाता है। महाशिवरात्रि पर चार प्रहरों के अनुसार अलग-अलग विधि से पूजा करने का विधान है। आइए हम आपको बताते हैं किस प्रहर के साथ किस विधान से भोलेनाथ की पूजा की जाए। साथ ही इस बार के चारों प्रहरों के समय भी आपको बताते हैं।
महाशिवरात्रि पर चार प्रहर में पूजा की विधि
पहला प्रहरः पहले प्रहर में भगवान शिव की ईशान मूर्ति को दूध से स्नान कराएं।
दूसरा प्रहरः इसमें भगवान शिव की अघोर मूर्ति को दही से स्नान कराना चाहिए।
तीसरा प्रहरः महाशिवरात्रि पर इस प्रहर में भोलेनाथ का घृत यानी घी से अभिषेक करना चाहिए।
चौथा प्रहरः इस प्रहर में महाशिवरात्रि के मौके पर महादेव को शहद से स्नान कराने से मनोरथ पूरे होते हैं।
चारों प्रहरों में भोलेनाथ का अभिषेक करते समय ऊं नमः शिवायः का जाप करना चाहिए। साथ ही, बादाम, बिल्वपत्र, धतूरा, अफीम के बीज और कमल पुष्प को अर्पित करने से महादेव प्रसन्न होते हैं।
चार प्रहर का समय
पहलाः सायं 6.29 बजे से रात 9.32 बजे तक
दूसराः रात 9.33 से मध्यरात्रि 12.36 बजे तक
तीसराः मध्यरात्रि 12.37 से अंत रात्रि 3.40 बजे तक
चौथाः अंत रात्रि 3.41 से सुबह 6.43 बजे तक
निशिथ कालः मध्य रात्रि 12.12 से रात्रि 1.01 बजे तक