आम मत | नई दिल्ली
संगीत केवल हमारा मूड अच्छा बनाने का काम भर नहीं करता है। यह एक आश्चर्यजनक दवा है जो बहुत सारी समस्याओं का इलाज करने में मदद करता है। यह आपके दिमाग को नई शक्ति देता है। तनाव से राहत दिलाता है। भावनाओं को जागृत करता है और आपके मन को शांत करने मदद करता है।
हाल ही के एक शोध में पाया गया कि परिपक्व व गैर परिपक्व संगीतकार गैर-संगीतकारों की तुलना में याददाश्त और सुनने की क्षमता के लिहाज से बेहतर होते हैं। शोध के मुताबिक जीवन भर संगीत की साधना करने वालों में कम से कम दो विशेषताएं होती हैं।
उनकी याददाश्त बढ़िया होती है और वे शोर के बीच भी सुन सकते हैं। शोधकर्ताओं में ज्यूरिख विश्वविद्यालय के एक न्यूरोलॉजिस्ट भी शामिल हैं। उन्होंने बताया कि बुजुर्गों में यह आम शिकायत होती है कि उन्हें शोरगुल के बीच सुनने में दिक्कत होती है।
इससे उनमें एकाकीपन और डिप्रेशन की भावना घर कर जाती है। शोध में 153 महिला और पुरुष प्रतिभागी शामिल किए गए थे। 52 परिपक्व संगीतकार, 51 गैर-परिपक्व संगीतकार, और 50 गैर-संगीतकार थे।
संगीत से शिशुओं के मस्तिष्क का विकास
संगीत सिर्फ हमारे मनोरंजन का ही साधन नहीं है, बल्कि छोटे बच्चों के लिए भी काफी फायदेमंद माना जाता है। बता दें कि संगीत और शिशुओं से जुड़े एक नए अध्ययन से पता चला है कि शिशुओं को संगीत का जल्द प्रशिक्षण देने से, संगीत के प्रति न केवल उनकी धारणा का विकास होता है, बल्कि उनकी सीखने की क्षमता भी बेहतर होती है। इस शोध में पता चला है कि नौ महीने की उम्र तक के शिशुओं के दिमाग में, संगीत और नई ध्वनियां उनकी वाणी प्रसंस्करण (स्पीच प्रोसेसिंग) को सुधार सकती हैं।