आम मत | नई दिल्ली
राजस्थान में पिछले कुछ दिनों से जारी राजनीतिक उठापटक के दौर में बुधवार को सचिन पायलट ने पहली बार साक्षात्कार दिया। पायलट ने एक न्यूज एजेंसी से बात करते हुए कहा कि वे भाजपा के किसी नेता के संपर्क में नहीं हैं। ना ही वे भाजपा में जाने की सोच रहे हैं। वे तकरीबन 6 महीनों से ज्योतिरादित्य सिंधिया से मिले भी नहीं हैं। उन्होंने कहा कि राजस्थान पुलिस ने उन्हें जो नोटिस भेजा था, उसमें राजद्रोह के आरोप थे। इससे उनके आत्मसम्मान को चोट पहुंची।
उन्होंने बताया कि लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस के घोषणा पत्र में ड्रैकियन राजद्रोह कानून का खंडन करने की बात की थी। यहां राज्य सरकार अपने ही मंत्री के खिलाफ इसे इस्तेमाल कर रही थी। मेरा कदम अन्याय के खिलाफ एक आवाज थी। उन्होंने कहा कि वे सीएम अशोक गहलोत से नाराज नहीं हैं, ना ही किसी तरह के पद या पावर चाहते हैं। सत्ता में आने के बाद मैं चाहता था कि जनता से किए वादे पूरे किए जाएं। गहलोत जी ने कुछ नहीं किया। वे वसुंधरा सरकार की तर्ज पर चल पड़े।
अधिकारियों को उनके आदेश ना मानने के थे निर्देश
पायलट ने कहा कि उन्हें और उनके कार्यकर्ताओं को राज्य के विकास के लिए काम करने की इजाजत नहीं थी। फाइलें भी उनके पास नहीं भेजी जाती थी। अधिकारी उनके दिशा-निर्देशों का पालन नहीं करते थे, क्योंकि उन्हें ऐसा करने के ही आदेश थे। कैबिनेट की बैठक महीनों तक नहीं होती थी। ऐसे पद का क्या अर्थ जो जनता के विकास के लिए काम नहीं कर सके। इस बारे में उन्होंने राजस्थान कांग्रेस प्रभारी अविनाश पांडे और वरिष्ठ नेताओं को भी दी। गहलोत जी से भी बात की। इसके बावजूद बैठकें नहीं हो पाई।