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पीएम ने मध्यप्रदेश के किसानों को किया संबोधितः बोले- हाथ जोड़कर किसानों से बात करने को तैयार

आम मत | नई दिल्ली

किसान आंदोलन का शुक्रवार को 23वां दिन है। इस बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मध्यप्रदेश के किसानों को संबोधित किया। विपक्ष पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि जो काम 25 साल पहले होने थे, वो आज करने पड़ रहे हैं। किसानों की उन मांगों को पूरा किया गया है, जिन्हें बरसों से रोका गया था। प्रधानमंत्री ने कहा कि जिनकी राजनीतिक जमीन खिसक गई है, आज वो किसानों को डरा रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमने किसानों को डेढ़ गुना एमएसपी दिया। कांग्रेस द्वारा की गई कर्जमाफी सबसे बड़ा धोखा है। इसका फायदा कांग्रेस के करीबियों और रिश्तेदारों को मिलता था।

प्रधानमंत्री ने कहा कि विपक्ष को पीड़ा इस बात की है कि मोदी ने कैसे कृषि कानूनों में सुधार कर दिया। उन्होंने कहा कि आप मुझे क्रेडिट मत दो, मैं केवल किसानों का भला चाहता हूं। किसानों के कंधे पर बंदूक रखकर वार किया जा रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि यदि अब भी किसी को आशंका है, तो हम सिर झुकाकर-हाथ जोड़कर हर मुद्दे पर बात करने के लिए तैयार हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा अभी 25 दिसंबर को, श्रद्धेय अटल जी की जन्मजयंती पर एक बार फिर मैं इस विषय पर और विस्तार से बात करूंगा। उस दिन पीएम किसान सम्मान निधि की एक और किस्त करोड़ों किसानों के बैंक खातों में एक साथ ट्रांसफर की जाएगी। मेरी इस बातों के बाद भी, सरकार के इन प्रयासों के बाद भी, अगर किसी को कोई आशंका है तो हम सिर झुकाकर, हाथ जोड़कर, बहुत ही विनम्रता के साथ, देश के किसान के हित में, उनकी चिंता का निराकरण करने के लिए, हर मुद्दे पर बात करने के लिए तैयार हैं।

भ्रम फैलाने वालों को सिरे से नकार रहे देश के किसान

मोदी ने कहा कि मुझे खुशी है कि देशभर में किसानों ने नए कृषि सुधारों को न सिर्फ गले लगाया है बल्कि भ्रम फैलाने वालों को भी सिरे से नकार रहे हैं। जिन किसानों में अभी थोड़ी सी आशंका बची है उनसे मैं फिर से कहूंगा कि आप एक बार फिर से सोचिए। प्राकृतिक आपदा आ जाए, तो भी किसान को पूरे पैसे मिलते हैं। नए कानूनों के अनुसार, अगर अचानक मुनाफा बढ़ जाता है, तो उस बढ़े हुए मुनाफे में भी किसान की हिस्सेदारी सुनिश्चित की गई है।

एपीएमसी को लेकर फैलाया जा रहा है झूठ

नए कानून के बाद एक भी मंडी बंद नहीं हुई है। फिर क्यों ये झूठ फैलाया जा रहा है? सच्चाई तो ये है कि हमारी सरकार एपीएमसी को आधुनिक बनाने पर, उनके कंप्यूटरीकरण पर 500 करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च कर रही है। फिर ये एपीएमसी बंद किए जाने की बात कहां से आ गई।

नए कानून में हमने सिर्फ इतना कहा है कि किसान चाहे मंडी में बेचे या फिर बाहर, ये उसकी मर्जी होगी। अब जहां किसान को लाभ मिलेगा, वहां वो अपनी उपज बेचेगा। कृषि सुधारों से जुड़ा एक और झूठ फैलाया जा रहा है एपीएमसी यानि हमारी मंडियों को लेकर। हमने कानून में क्या किया है? हमने कानून में किसानों को आजादी दी है, नया विकल्प दिया है।

किसानों को एमएसपी पर किया जा रहा है गुमराह

आज दाल के किसान को भी ज्यादा पैसा मिल रहा है, दाल की कीमतें भी कम हुई हैं, जिससे गरीब को सीधा फायदा हुआ है। जो लोग किसानों को न एमएसपी दे सके, न एमएसपी पर ढंग से खरीद सके, वो एमएसपी पर किसानों को गुमराह कर रहे हैं। 2014 से पहले के 5 साल में उन्होंने सिर्फ डेढ़ लाख टन दाल ही किसानों से खरीदी।

जब साल 2014 में हमारी सरकार आई तो हमने नीति भी बदली और बड़े निर्णय भी लिए। हमारी सरकार ने किसानों से पहले की तुलना में 112 लाख टन दाल एमएसपी पर खरीदी। 2014 के समय को याद कीजिए, किस प्रकार देश में दालों का संकट था। देश में मचे हाहाकार के बीच दाल विदेशों से मंगाई जाती थी।

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