आम मत | काठमांडू
नेपाल में सियासी संकट गहराता जा रहा है। प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने रविवार को संसद भंग करने की सिफारिश की, जिसे राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी ने औपचारिक मंजूरी दे दी । नेपाल में अगले साल 30 अप्रैल और 10 मई के बीच चुनाव कराए जाएंगे। राष्ट्रपति कार्यालय ने इसकी जानकारी दी है।
दरअसल, रविवार सुबह हुई ओली मंत्रिमंडल की आपात बैठक में संघीय संसद को भंग करने के लिए राष्ट्रपति से सिफारिश करने का फैसला किया गया। इसके बाद ओली राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी के पास यह सिफारिश लेकर पहुंचे। इसे लेकर ओली की अगुवाई वाली कैबिनेट के सात मंत्रियों ने इस्तीफा दे दिया है।
इस कारण उठाया कदम
दरअसल प्रधानमंत्री ओली पर संवैधानिक परिषद अधिनियम से संबंधित मंगलवार को जारी किए गए एक अध्यादेश वापस लेने के लिए काफी राजनीतिक दबाव बनाया जा रहा था। राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी ने भी इसे मंजूरी दे दी थी।
वहीं जब प्रधानमंत्री ओली द्वारा जब रविवार की सुबह 10 बजे कैबिनेट की आपात बैठक बुलाई गई तो कयास लगाए जाने लगे कि यह अध्यादेश को बदलने की सिफारिश की जाएगी। लेकिन ओली सरकार ने ससंद को ही भंग करने का फैसला लेकर सभी को चौंका दिया है।
अगर राष्ट्रपति, सरकार की सिफारिश को मान लेती है तो प्रतिनिधि सभा को भंग कर दिया जाएगा। गौरतलब है कि नेपाल मे दो सदन है, प्रतिनिधि सभा और राष्ट्रीय सभा. सरकार बनाने के लिए प्रतिनिधि सभा मे बहुमत जरुरी होता है।