आम मत | जयपुर
केंद्र सरकार ने जल्दबाजी में देश के 6 एयरपोर्ट्स को प्राइवेट हाथों में देने का फैसला लिया है। सरकार ने जयपुर, गुवाहाटी, अहमदाबाद, मेंगलुरु, लखनऊ और तिरुवनंतपुरम को प्राइवेट हाथों में दे दिया है। एक रिपोर्ट की मानें तो जयपुर एयरपोर्ट को इससे 50 सालों में 5940 करोड़ रुपए का नुकसान झेलना पड़ेगा। यानी हर महीने हवाईअड्डा प्रशासन को 8-10 करोड़ का घाटा उठाना पड़ेगा।
एक रिपोर्ट के अनुसार, भले ही अडानी ग्रुप ने सबसे ज्यादा बोली लगाई हो, लेकिन एयरपोर्ट के प्राइवेटाइजेशन के कारण एयरपोर्ट अथॉरिटी को बड़ा नुकसान उठाना पड़ेगा। इस प्राइवेटाइजेशन के कारण जयपुर एयरपोर्ट अथॉरिटी को निजीकरण में की गई जल्दबाजी के कारण अथॉरिटी को हर महीने 8-10 करोड़ रुपए का नुकसान होगा।
दिसंबर 2018 में हुई थी 18.67 करोड़ रुपए की आय
जानकारी के अनुसार, दिसंबर 2018 में जयपुर से 4,45,431 घरेलू और 52,450 विदेशी यात्रियों ने यात्रा की थी। इससे एयरपोर्ट अथॉरिटी को 18.67 करोड़ रुपए की आय हुई थी। वहीं, अडानी ग्रुप इस बिड के जरिए अब हर घरेलू यात्री पर 174 रुपए और हर विदेशी यात्री पर 348 रुपए का ही भुगतान करेगा।
यानी इसी दिसंबर के लिए एयरपोर्ट प्रशासन को अडानी ग्रपु से महज 9.58 करोड़ रुपए ही मिलेंगे। हालांकि, निजीकरण से पहले यह आय 18.67 करोड़ रुपए थी। यानी अथॉरिटी को हर महीने 9.09 करोड़ रुपए का नुकसान होगा। इसी तरह पूरे साल में 118.8 करोड़ रुपए का घाटा उठाना पड़ेगा।
एक ही महीने में तैयार हुआ निजीकरण का ड्राफ्ट एग्रीमेंट
8 नवंबर 2018 को केंद्र सरकार की कैबिनेट ने जयपुर, अहमदाबाद, तिरुवनंतपुरम, मेंगलुरु, लखनऊ और गुवाहाटी को निजी हाथों में देने का फैसला लिया था। पीपीपी मोड पर देने के लिए कमेटी बनाई गई। साथ ही, नीति आयोग ने सिफारिशें भी दी थी।
7 दिसंबर को नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने निजीकरण का ड्राफ्ट एग्रीमेंट तैयार किया था। 10 दिसंबर को नीति आयोग ने अप्रेजल नोट भेज दिया। 11 दिसंबर को पीपपी अप्रेजल कमेटी ने मीटिंग बुलाई और 14 दिसंबर को इसके लिए प्रपोजल आमंत्रित लिए गए।
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