आम मत | नई दिल्ली
कांग्रेस में बदलाव के लिए पत्र लिखने वाले 23 नेताओं पर पार्टी हाईकमान के तेवर ढीले नहीं हुए हैं। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए यूपी कांग्रेस की घोषित समितियों में पूर्व केंद्रीय मंत्री जितिन प्रसाद और राज बब्बर को जगह नहीं दिया जाना इसका प्रमाण है। चुनाव से जुड़ी 7 अहम समितियों का कांग्रेस ने रविवार को घोषणा की गई। इसमें से किसी में भी जितिन और राजबब्बर को नहीं रखा गया है।
कल तक प्रियंका गांधी के विश्वासपात्रों में से एक थे जितिन प्रसाद, आज दरकिनार
उत्तर प्रदेश में यूपी कांग्रेस की राजनीति का संचालन पूरी तरह पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा के हाथों में है। जाहिर तौर पर चुनाव से जुड़ी किसी समिति की अगुआई का मौका देना तो दूर जितिन और बब्बर को बतौर सदस्य भी नहीं रखा जाना सीधे हाईकमान की नाराजगी को दर्शाता है।
पत्र विवाद आने से पूर्व तक जितिन प्रसाद यूपी में कांग्रेस महासचिव के भरोसेमंद चेहरों में शामिल रहे थे। सूबे में ब्राह्मण समुदाय को पार्टी से जोड़ने की रणनीति को आगे बढ़ाने का जिम्मा भी उन्हीं पर था। हालांकि पत्र विवाद सामने आने के बाद हाईकमान के रुख को देखते हुए जितिन प्रसाद ने स्पष्टीकरण भी दिया था कि पार्टी में सुधार की उनकी बातों को शीर्ष नेतृत्व और गांधी परिवार के खिलाफ नहीं देखा जाना चाहिए।
शीर्ष नेतृत्व की खिलाफत नहीं होगी बर्दाश्त
यूपी कांग्रेस की चुनावी टीम का हिस्सा बनने में जितिन की यह सफाई काम नहीं आयी है। जबकि हाईकमान ने जितिन और बब्बर को बाहर करने के साथ गुलाम नबी आजाद से लेकर आनंद शर्मा के खिलाफ मुखर बयान देने वाले प्रदेश के वरिष्ठ नेता निर्मल खत्री को चुनावी टीम में जगह देकर यह संदेश दे दिया है कि शीर्ष नेतृत्व के खिलाफ किसी तरह के विरोध का स्वर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।