आम मत | नई दिल्ली
कृषि कानून पर किसान संगठन और केंद्र सरकार आमने-सामने हैं। किसानों ने मांग की है कि किसी भी तरह की बातचीत के लिए पहले कानूनों को वापस लेना होगा। हालांकि, इस बीच भाजपा के कई नेताओं और मंत्रियों ने किसान आंदोलन पर सवाल खड़े करने शुरू कर दिए हैं। पहले कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर, रेल मंत्री पीयूष गोयल और फिर अल्पसंख्यक मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने प्रदर्शनकारियों को आसामाजिक तत्व करार दिया।
हालांकि, इस पर पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने उन्हें आड़े हाथों लिया और पूछा कि अगर आंदोलन में किसान नहीं हैं, तो सरकार उनसे बात क्यों कर रही है?पीयूष गोयल ने कहा था कि मुखरता से आरोप लगाते हुए कहा कि ऐसा लगता है जैसे कुछ माओवादी और वामपंथी तत्वों ने आंदोलन का नियंत्रण संभाल लिया है और किसानों के मुद्दे पर चर्चा करने की जगह कुछ और एजेंडा चला रहे हैं।
एक अन्य ट्वीट में उन्होंने कहा था कि देश की जनता देख रही है, उसे पता है कि क्या चल रहा है, समझ रही है कि कैसे पूरे देश में वामपंथियों/माओवादियों को कोई समर्थन नहीं मिलने के बाद वे किसान आंदोलन को हाईजैक करके इस मंच का इस्तेमाल अपने एजेंडे के लिए करना चाहते हैं। हीं नरेंद्र तोमर ने कहा था कि असामाजिक तत्व किसानों का वेश धारण कर उनके आंदोलन का माहौल बिगाड़ने का षड्यंत्र कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि सरकार किसानों के प्रति संवेदनशील है और उनकी चिंताओं को दूर करने के लिए उनके और उनके प्रतिनिधियों के साथ बातचीत कर रही है। इसके बाद मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि किसान आंदोलन असलियत से काफी दूर है और इसे राजनीतिक ताकतों ने झूठे भरोसे के साथ खड़ा किया है। इसके अलावा केंद्र सरकार में मंत्री रावसाहब दानवे भी किसान आंदोलन के पीछे पाकिस्तान और चीन का हाथ होने की बात कह चुके हैं।