आम मत | नई दिल्ली
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने राष्ट्रीय सुरक्षा, विदेश नीति और अर्थव्यवस्था की मौजूदा स्थिति पर कांग्रेस का नजरिया स्पष्ट करने के लिए तीन समितियों गठित की है। इन तीनों समितियों की अध्यक्षता पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह करेंगे। इन तीनों समितियों में पत्र विवाद से जुड़े पार्टी के तीन वरिष्ठ नेताओं गुलाम नबी आजाद, आनंद शर्मा और शशि थरूर को भी शामिल किया गया है।
कांग्रेस में बिहार की हार को लेकर शुरू हुई अंदरूनी खटपट में चर्चा-संवाद नहीं किए जाने की बात हाल में कपिल सिब्बल ने प्रमुखता से उठाई थी। अब परोक्ष रूप से इसे साधने की कोशिश शुरू हुई है। अर्थव्यवस्था पर सरकार की नीतियों की मुखर आलोचक कांग्रेस विदेश नीति और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मसलों से निपटने के तौर-तरीकों पर भी सवाल उठाती रही है। हालांकि इस क्रम में कुछ बिंदुओं पर पार्टी में मतैक्य का अभाव भी सामने आया।
कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने सोनिया गांधी के इस फैसले की जानकारी दी। आर्थिक मामलों की समिति में मनमोहन सिंह के साथ पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम, वरिष्ठ नेता मल्किार्जुन खड़गे और दिग्विजय सिंह को रखा है। जबकि जयराम रमेश समिति के संयोजक बनाए गए हैं।
वहीं, विदेश मामलों की समिति में आनंद शर्मा, शशि थरूर और सप्तगिरी शंका उलाका को भी शामिल किया। इसी तरह, राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए बनाई समिति में गुलाम नबी आजाद, वीरप्पा मोइली और वी. वैथलिंगम को लिया गया।