आम मत | न्यूयॉर्क / नई दिल्ली
अमेरिका में राष्ट्रपति पद के लिए मंगलवार को चुनाव होने हैं। डेमोक्रेटिक और रिपब्लिकन पार्टी दोनों ही चुनाव प्रचार कर एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे हैं। सर्वे के अनुसार, वर्तमान राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पीछे हैं, हालांकि वे बाजी पलटने की बात कर रहे हैं।
इधर, अमेरिका में 24 करोड़ मतदाता हैं। बीते 28 अक्टूबर तक 7.5 करोड़ से अधिक वोट डाले जा चुके हैं। 2016 में अर्ली वोटिंग से 5 करोड़ से अधिक लोगों ने वोट डाले थे। चुनावी जानकारों का कहना है कि पिछली बार की तरह इस बार भी साइलेंट वोटर ही किंगमेकर होंगे। यहां वोटिंग के लिए दो विकल्प हैं, एक तो मेल या फिर अर्ली वोटिंग दूसरा मतदान केंद्र पर जाकर वोट डालना।
उल्लेखनीय है कि अमेरिका की चुनाव प्रक्रिया भारत से अलग है। अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव अप्रत्यक्ष रूप से होता है। अमेरिकी नागरिक उन लोगों को चुनते हैं जो राष्ट्रपति का चुनाव करते हैं, अमेरिका के कुल 50 राज्यों में से कुल 538 इलेक्टर्स चुने जाते हैं। इसे इलेक्टोरल कॉलेज कहते हैं। इलेक्टोरल कॉलेज में सीनेट और हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव होते हैं।
हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव राष्ट्रपति के चुनाव के लिए जाता है। यह पहली बार है जब 33 प्रतिशत सीनेट भी राष्ट्रपति चुनाव में जाएगा। राज्यों की आबादी के अनुसार, वहां इलेक्टर्स की संख्या होती है। ये ठीक उसी प्रकार होती है, जिस प्रकार भारत में जिले की पॉपुलेशन और क्षेत्रफल के हिसाब से वहां के सांसदों की संख्या होती है। राष्ट्रपति बनने के लिए किसी भी उम्मीदवार को 270 मतों की जरूरत होती है।
स्विंग स्टेट्स के कारण पिछली बार राष्ट्रपति बने थे ट्रंप
गौरतलब है कि पिछली बार राष्ट्रपति ट्रंप को 538 में से 306 इलेक्टोरल वोट मिले थे। पिछली बार राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार हिलेरी क्लिंटन को 48.2 फीसदी मत मिले थे। वहीं, ट्रंप का मत प्रतिशत 46.1 प्रतिशत था, लेकिन स्विंग स्टेट्स के कारण ट्रंप राष्ट्रपति बन गए थे।