आम मत | नई दिल्ली
पूर्व केंद्रीय मंत्री जसवंत सिंह का रविवार को 82 साल की उम्र में निधन हो गया। उन्हें 25 जून को दिल्ली के आर्मी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उनका मल्टी ऑर्गन डिस्फंक्शन सिंड्रोम का इलाज चल रहा था। राजनीति में आने से पहले जसवंत सेना में थे। वे मेजर के पद से रिटायर हुए थे। तीन प्रमुख विभाग (वित्त, रक्षा, विदेश) संभालने वाले जसवंत को एक बार पार्टी से बाहर कर दिया गया था। वर्ष 2009 में मोहम्मद अली जिन्ना पर किताब लिखने के कारण पार्टी से निकाल दिया गया था।
वहीं, 2014 लोकसभा चुनाव में टिकट नहीं दिए जाने से नाराज जसवंत ने पार्टी छोड़ दी। पार्टी महासचिव रहे अमित शाह (अब गृह मंत्री) ने कहा था कि सभी फैसले नफा-नुकसान का हिसाब लगाकर ही लिए गए।
2018 में जसवंत के बेटे मानवेंद्र ने बताया था, ‘मोदी ने मुझे खुद फोन किया था। उन्होंने मेरे पिता को टिकट न दिए जाने के पीछे जयपुर के एक और दिल्ली के दो लोगों की साजिश बताई थी।’ जसवंत सिंह के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर संवेदना व्यक्त की। उल्लेखनीय है कि वे वर्ष 2014 में सिर में चोट लगने के बाद से ही कोमा में थे।
करगिल युद्ध के दौरान निभाई अहम भूमिका
1998 में परमाणु परीक्षण के बाद अमेरिका ने भारत पर सख्त प्रतिबंध लगाए थे। तब जसवंत ने ही अमेरिका से बातचीत की थी। 1999 में करगिल युद्ध के दौरान भी उनकी भूमिका अहम रही। 24 दिसंबर 1999 को इंडियन एयरलाइंस के जहाज को हाईजैक करके अफगानिस्तान के कंधार ले जाया गया था। यात्रियों को बचाने के लिए भारत सरकार को तीन आतंकी छोड़ने पड़े थे। जिन आतंकियों को छोड़ा गया था, उनमें मुश्ताक अहमद जरगर, उमर सईद शेख और मौलाना मसूद अजहर शामिल था। इन आतंकियों को लेकर जसवंत ही कंधार गए थे।
ऐसा रहा सेना से राजनीति का सफर
- 1955 से 1967 तक जसवंत सेना में रहे।
- 1965 की लड़ाई का हिस्सा भी बने।
- 1977 में तत्कालीन मुख्यमंत्री भैरोंसिंह के कहने पर राजनीति में प्रवेश किया।
- 1980 में भाजपा के गठन के बाद उन्हें राज्यसभा भेजा गया।
- 1989 में जोधपुर से लड़ा लोकसभा का चुनाव। मौजूदा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को हराया।
- 2012 में उपराष्ट्रपति पद के चुनाव में हामिद अंसारी से मिली हार।